प्रकाश सिंह बादल ने 1947 में अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी। वह सबसे पहले अपने गांव के सबसे छोटी उम्र के सरपंच बने थे। इसके बाद वह ब्लॉक समिति लम्बी के अध्यक्ष चुने गए। ब्लाक समिति अध्यक्ष बनने के बाद प्रकाश सिंह बादल ने फिर राजनीतिक सफर में पीछे मुड़कर नहीं देखा। प्रकाश सिंह बादल पहली बार 1957 में पंजाब राज्य विधानसभा के लिए चुने गए थे।
लाहौर (पाकिस्तान) के फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री करने वाले प्रकाश सिंह ढिल्लों (बादल) 1957 में पहली बार प्रकाश सिंह बादल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में विधानसभा पहुंचे थे। पंजाब विधानसभा में यह उनका पहला कार्यकाल था। लेकिन पार्टी में मतभेद होने के कारण उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर शिरोमणि अकाली दल जॉइन कर लिया था।
1969 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने
प्रकाश सिंह बादल लगातार विधायक बनते गए। 1969-70 में वह पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए। इसके बाद वह 1977, 1997, 2002, 2007 और फिर 2012 में अंतिम बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने। प्रकाश सिंह बादल सिर्फ पंजाब में ही नहीं बल्कि पूरे हिंदोस्तान में सबसे लंबे समय तक 5 बार मुख्यमंत्री रहे।
श्री अकाल तख्त साहिब से मिला था पंथ रत्न का अवार्ड
मुख्यमंत्री के रूप में सबसे लंबी पारी खेलने वाले प्रकाश सिंह बादल जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तो वह पंजाब में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री थे। सिखों और सिख पंथ के लिए किए गए कार्यों के लिए श्री अकाल तख्त साहिब ने पूर्व मुख्यमंत्री के पंथ रत्न फख्र-ए-कौम के अवॉर्ड से नवाजा था।