राईट न्यूज / हिमाचल
प्रदेश में सीसीटीवी न लगाने वाले शराब फैक्ट्री संचालक प्रदेश में सप्लाई नहीं कर सकेंगे। कर एवं आबकारी विभाग ने 15 अप्रैल तक फैक्ट्री संचालकों को कैमरे लगाने की मोहलत दी है। कैमरे न लगाने पर शराब की सप्लाई के लिए परमिट जारी नहीं किए जाएंगे। एक मई से हिमाचल प्रदेश में शराब की सप्लाई पर नजर रखने के लिए ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम शुरू होने जा रहा है। 30 अप्रैल तक सभी शराब कंपनियों को व्यवस्थाएं पूरी करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जारी आबकारी नीति के तहत हिमाचल में शराब की सप्लाई करने के लिए जीपीएस युक्त वाहनों का ही इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया गया है। ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम के लिए यूरोप और कोरिया से आधुनिक उपकरणों की खरीद की गई है। कर एवं आबकारी विभाग का सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप्लीकेशन तैयार है। इस व्यवस्था के तहत सूबे के शराब कारखानों से लेकर स्टोर, ठेकों तक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने हैं।
बोतलों पर लगे बार कोड को स्कैन कर कोई भी शराब की गुणवत्ता की जांच कर सकेगा। इस व्यवस्था के लागू होते ही नकली शराब का धंधा बंद होने का दावा किया गया है। विश्व बैंक से पोषित इस योजना पर बीते करीब तीन वर्षों से ट्रायल चल रहा है। आधुनिक उपकरणों की खरीद के लिए इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन के माध्यम से कंपनियों का चयन किया गया है। प्रदेश की सभी डिस्टिलरी, बॉटलिंग प्लांट, होलसेल और गोडाउन में ट्रैक एंड ट्रेसिंग के लिए उपकरण लगाए जा रहे हैं।
विभागीय अधिकारियों का मानना है कि प्रदेश में स्थित सभी बाॅटलिंग प्लांट और डिस्टिलरियों से बाहर आने वाली शराब की ऑनलाइन निगरानी का तंत्र विकसित होने पर शराब तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने में आसानी होगी। बार कोड को स्कैन करने पर शराब को बनाने के वर्ष, बैच नंबर और कहां उसे बनाया गया है, इसकी जानकारी मिल जाएगी। कर एवं आबकारी विभाग सभी शराब कंपनियों, बॉटलिंग प्लांट, थोक विक्रेताओं के परिसरों में कैमरे भी लगा रहा है।
कंप्यूटर सिस्टम भी लगाए जा रहे हैं। इस व्यवस्था के लागू होने पर शराब कारोबारी बिना बैच नंबर के शराब सप्लाई नहीं कर सकेंगे। हर बोतल का कंप्यूटर सिस्टम पर पंजीकरण होगा। शराब बोतलों का ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम शुरू होने पर सरकार को मिलने वाले टैक्स की भी सही गणना हो सकेगी। इस प्रक्रिया से सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।