राईट न्यूज / नाहन
सिरमौर जिला योजना विभाग में विकास में जन सहयोग योजना के बजट में नौ लाख रुपये के कथित गबन का मामला सामने आया है। आरोप है कि विभाग के जिला परियोजना अधिकारी ने यह धनराशि अपने बेटे और क्लर्क के बैंक खाते में जमा करवाई थी। मामले का पता लगने के बाद इसकी जांच हुई है तो राशि वापस विभाग के खाते में जमा करा दी गई। उपायुक्त सिरमौर को इस संदर्भ में जांच कराने को लेकर पत्र आया है। विभाग के संयुक्त निदेशक भी कुछ अरसे पहले जांच के लिए सिरमौर आए थे। जांच में अनियमितताएं पाए जाने के बाद डीपीओ को निलंबित किया गया है।
बताया जा रहा है कि जांच की भनक लगने के बाद यह तमाम राशि विभाग के खाते में वापस जमा करवा दी गई है। उपयुक्त ने योजना विभाग की तरफ से आए पत्र के बाद फेक्ट फाइंडिंग के लिए जांच के आदेश दिए हैं। एसीटूडीसी को इसका जिम्मा सौंपा गया है। विकास में जन सहयोग के तहत मंजूर नौ लाख रुपये को जिला योजना अधिकारी ने अपने बेटे और क्लर्क के खाते में जमा करवा दिया। लगभग साढ़े सात लाख बेटे और डेढ़ लाख क्लर्क के खाते में जमा हुए। बताया जा रहा है कि पिछले कई दिनों से इसकी जांच चल रही है।
विभाग के संयुक्त निदेशक भी इस सिलसिले में कुछ दिन पहले सिरमौर आकर गए हैं। जांच के बाद इसकी फाइल उपायुक्त कार्यालय को भेजी गई है। जानकारी के अनुसार विकास में जन सहयोग की राशि सीधा लाभार्थी के खाते में जमा की जाती है । इस मामले में विभाग को शिकायत भी की थी। उपायुक्त राम कुमार गौतम ने संपर्क करने पर बताया कि इस संदर्भ में शिमला से कार्रवाई हुई है। डीपीओ को निलंबित कर दिया है। हालांकि, नौ लाख रुपये की रकम विभाग के खाते में वापस जमा कर दी गई है। उन्होंने बताया कि पैसा क्लर्क और बेटे के अकाउंट में जमा हुआ था। ऐसा विभाग के मुख्यालय से आए पत्र में बताया गया है। पत्र के आधार पर उन्होंने जांच के आदेश दिए हैं। फेक्ट फाइंडिंग के लिए एसीटूडीसी को जांच का जिम्मा सौंपा गया है।