राईट न्यूज / हिमाचल
शिक्षक वैज्ञानिक अजय शर्मा की चिट्ठी पर उपराष्ट्रपति कार्यालय ने कड़ा संज्ञान लिया है। अजय ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से निवेदन किया था कि उन्हें न्यूटन के तीसरे नियम को गलत साबित करने के लिए प्रयोगशाला की सुविधाएं दी जाएं। उपराष्ट्रपति सचिवालय ने उचित कार्रवाई करने के लिए अजय शर्मा की प्रार्थना भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव को भेजी है। इस बारे में कार्रवाई के लिए सचिवालय को भी अवगत करवाने को कहा है। फरवरी 2021 में वित्त केंद्रीय राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने भी इस बारे में पत्र केंद्रीय विज्ञान एंड टेक्नालॉजी मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन को भेजा था।
इस बात से देश-विदेश के सभी वैज्ञानिक सहमत हैं कि अभी तक 335 वर्ष पुराने न्यूटन के नियम को पूरी तरह समझा नहीं गया है। न्यूटन का नियम वस्तु के आकार की अनदेखी करता है। इसे भिन्न-भिन्न आकार की वस्तुओं से प्रयोग करके सिद्ध किया जा सकता है। वस्तु के गोल, अर्द्धगोल, त्रिभुज, शंकु, बहुभुज, लंबी पाइप, फ्लैट और अनियमित आकार हो सकते हैं। अभी तक न्यूटन का नियम किसी भी आकार के लिए परखा नहीं गया है, पर सभी आकारों के लिए सही माना जा रहा है।
अजय शर्मा ने कहा कि इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की वेबसाइट पर अपलोड भी किया गया है। अजय शर्मा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी पत्र लिख चुके हैं। अजय शर्मा भारत सरकार से सालों से प्रार्थना कर रहे हैं कि वे न्यूटन के नियम में संशोधन नामक टॉपिक पर सेमिनार करवाएं, जिससे इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा सके। अजय 31 मार्च 2021 को रिटायर हो रहे हैं। फिर इस शोध कार्य पर वित्तीय कठिनाइयां भी खड़ी हो सकती हैं। अजय न्यूटन के नियम में संशोधन नामक विषय पर पुस्तक भी लिख रहे है।