राईट न्यूज / पांवटा साहिब
सरबंसदानी 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी का 354वां प्रकाश पर्व बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। गुरु की नगरी में हर वर्ष प्रकाशोत्सव की खास धूम रहती है। इस वर्ष भले ही कोरोना के संभावित खतरे के चलते नगर कीर्तन नहीं निकाला गया लेकिन विभिन्न राज्यों से बुधवार को हजारों श्रद्धालुओं ने शीश नवाया। पांवटा साहिब में प्रकाश उत्सव की खूब धूम रही। बाहरी राज्यों से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की ठहरने और खानपान व्यवस्था के पांवटा साहिब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के माध्यम से बेहतरीन इंतजाम किए गए हैं।
बता दें कि वीरवार को सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह का प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी उपप्रधान जत्थेदार हरभजन सिंह, सदस्य हरप्रीत सिंह, कर्मवीर सिंह, मैनेजर जागीर सिंह और कोषाध्यक्ष गुरमीत सिंह ने बताया कि 20 जनवरी को प्रकाश पर्व के रूप में धूमधाम से मनाया जाता रहा है। श्री गुरु गोविंद सिंह जी शौर्य, साहस के प्रतीक रहे हैं जो सदैव ही अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाते रहे। 10वें गुरु पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली और गुरु जी पंथ के संस्थापक बने। गुरुद्वारा के मैनेजर ने कहा कि सवा लाख से एक लड़ाऊं तां गोबिंद सिंह नाम धराऊं…गुरुजी के वाक्य सदियों बाद भी प्रेरणा स्रोत हैं। गुरु गोविंद सिंह प्रकाशोत्सव पर गुरु की नगरी पांवटा साहिब में हजारों श्रद्धालुओं ने शीश नवाया।
मंगलवार को अखंड पाठ के साथ पर्व शुरू हो गया था। बुधवार निशान साहब की सेवा सुबह 9 बजे शुरू हुई। शाम को दिवान सजाया गया जिसमें रागी और डाढ़ी जत्थे ने संगतों को निहाल किया। रात को कवि दरबार सजेगा जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे कवि गुरु के शौर्य और जीवन को सुंदर रचनाओं से गुरु महिमा का गायन करेंगे। गुरु पर्व पर देश के विभिन्न राज्यों दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और यूपी समेत विभिन्न राज्यों से हजारों श्रद्धालु पांवटा में शीश नवाने पहुंच रहे हैं।
प्रकाश पर्व पर श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। पांवटा साहिब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से संगतों-श्रद्धालुओं के लिए ठहरने, खानपान समेत हर तरह के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। बुधवार को सुबह 5 बजे से ही बाहरी राज्यों से श्रद्धालु पहुंचना शुरू हो गए थे। श्रद्धालुओं के लंगर की पूरी व्यवस्था बेहतर ढंग से कर ली गई थी। पांवटा साहिब गुरुद्वारा में श्रद्धालुओं ने शीश नवाया और अरदास भी की गई। गुरु पर्व पर दिन भर कीर्तन का आयोजन चलता रहा है।
आस्था के साथ कोविड- 19 से सुरक्षा की पूरी व्यवस्था देख कर अच्छा लगा। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने हर तरह से पुख्ता इंतजाम श्रद्धालुओं के लिए किया है जिससे अब हर बार गुरु पर्व पर गुरुद्वारा पांवटा साहिब में शीश नवाने को दिल कर रहा है। प्रथम बार गुरु की नगरी पांवटा साहिब में गुरु गोविंद सिंह के प्रकाशोत्सव पर उन्हें शीश नवाने का मौका मिला है। यमुना नदी किनारे गुरु जी ने खुद इस शहर की नींव सदियों पहले रखी थी। अपने जीवन के 4 वर्ष पांवटा साहिब में बिताए । जीवन की पहली जंग भी पांवटा साहिब से 20 कि मी दूर भंगानी साहिब में लडी थी वहां भी गुरुद्वारा शुशोभित हैं।