राइट न्यूज हिमाचल/कांगड़ा
कहते हैं कि अगर मन में कुछ कर गुजरने का इरादा हो, तो कोई भी कठिनाई, कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती है। पर्वत चाहे जितने ऊंचे होंए रास्ता चाहे जितना कठिन क्यों न हो, अगर इरादा पक्का हो और हौसला बुलंद हो, तो इंसान हर मुकाम हासिल कर सकता है। इस बात को हिमाचल के कांगड़ा जिला के शिवम भाटिया ने सच कर दिखाया है।
शिवम भाटिया अपनी मेहनत के दम पर आज भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं।कांगड़ा जिला के दौलतपुर पंचायत के छोटे से गांव भाई के रहने वाले शिवम भाटिया ने अपनी मेहनत और संकल्प से भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का पद हासिल कर ना केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी में आयोजित भव्य पासिंग आउट परेड के दौरान शिवम को सेना में अधिकारी के रूप में कमीशन मिला।इस ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण के साक्षी शिवम के माता-पिता सुरेंद्र कुमार और विपन कांता भी बने।
शिवम के पिता सुरेंद्र कुमार और माता विपन कांता दोनों ही हिमाचल के शिक्षा विभाग में सेवाएं दे रहे हैं। बेटे की इस गौरवशाली उपलब्धि पर पूरे गांव में उत्सव जैसा माहौल है। ग्रामीणों ने मिठाइयां बांटकर और ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाकर अपनी खुशी जाहिर की।शिवम की शिक्षा की नींव माउंट कार्मेल स्कूल गग्गल में पड़ी, जिसके बाद उन्होंने कांगड़ा के जीएवी पब्लिक स्कूल से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की।
तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखते हुए उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में बीटेक की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद उन्होंने एक प्राइवेट सेक्टर में नौकरी शुरू की।शिवम भाटिया ने अपने कॉर्पोरेट जीवन की शुरुआत गुरुग्राम की एक निजी कंपनी से की थी, लेकिन उनके मन में देश सेवा का जज्बा उन्हें चैन से बैठने नहीं देता था। नौकरी छोड़कर उन्होंने संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की और पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्त कर ली।
उनके इस फैसले ने उनकी दिशा ही नहीं, जीवन की दशा भी बदल दी।शिवम ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, गुरुजनों और परिवार के सहयोग को दिया है। उनका कहना है कि यदि मन में ठान लो, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं होता। शिवम की सफलता ने न सिर्फ उनके गांव के युवाओं को प्रेरित किया है, बल्कि हिमाचल प्रदेश के अन्य युवाओं के लिए भी वह एक मिसाल बनकर उभरे हैं। शिवम भाटिया जैसे युवाओं की कहानियां न केवल प्रेरणा देती हैं, बल्कि यह संदेश भी देती हैं कि छोटे गांवों से निकलकर भी कोई युवा राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है दृ जरूरत है तो केवल मेहनत, संकल्प और सही मार्गदर्शन की।