राइट न्यूज हिमाचल
हिमाचल प्रदेश की बेटियां आज हर क्षेत्र में अपनी बुलंदियों के झंडे गाढ़ रही हैं। आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां पर प्रदेश की बेटियां ना पहुंच पाई हों। कुछ ऐसी ही कहानी हिमाचल के सिरमौर जिला की दो बेटियों की भी है। इन दोनों बेटियों ने पहले खेल के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई और अब यह दोनों ही बेटियां भारतीय सेना में शामिल होकर देश सेवा करने के लिए तैयार हैं। बड़ी बात यह है कि दोनों ही बेटियां सिरमौर जिला के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं।
किस गांव की रहने वाली हैं दोनों बेटियांदरअसल सिरमौर जिला के शिलाई उपमंडल के मस्तभोज क्षेत्र के पभार गांव की इन होनहार बेटियों अंजली ठाकुर और पायल ठाकुर का चयन भारतीय सेना में हुआ है। अंजली ठाकुर और पायल ठाकुर बीएसएफ में कांस्टेबल बनी हैं। दोनों का चयन हैंडबॉल स्पोर्ट्स कोटे में हुआ है।
बेटियों की इस सफलता पर ना सिर्फ उनके परिवार में बल्कि पूरे गांव में खुशी का माहौल है।दोनों बेटियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो दोनों ही साधारण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से ताल्लुक रखती हैं। इन दोनों ने अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय से ही इस मुकाम को हासिल किया है।
दोनों बेटियों की खेल यात्रा साल 2013 में राजकीय माध्यमिक पाठशाला पभार से शुरू ह ुई थी। इस स्कूल में कार्यरत शारीरिक शिक्षक धर्मेंद्र चौधरी के मार्गदर्शन में अंजली और पायल ने हैंडबाल खेलना शुरू किया था। कड़ी मेहनत के दम पर तीन साल बाद साल 2016 में दोनों बेटियों ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया। इसके बाद बिलासपुर स्थित मोर सिंगी हैंडबॉल नर्सरी में कोच स्नेहलता और सचिन चौधरी के मार्गदर्शन में अपने खेल को और निखारा।
प्रशिक्षण और मेहनत के चलते ही इन दोनों बेटियों ने ना सिर्फ स्कूली प्रतियोगिताएं जीती, बल्कि ओपन प्रतियोगिताओं में भी कई मेडल अपने नाम किए। दोनों ही बेटियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।हैंडबॉल में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के बाद अब दोनों की बेटियां देश सेवा के लिए तत्पर हैं। दोनों का ही चयन हैंडबॉल स्पोटर््स कोटे के तहत भारतीय सेना में बीएसएफ में कांस्टेबल के पद पर हुआ है।
बेटियों की इस उपलब्धि पर मां बाप सहित पूरा गांव काफी खुश है। अंजली के पिता अनिल चौहान और पायल के पिता गोपाल ने कहा कि बेटियों की इस उपलब्धि पर वह गर्व महसूस कर रहे हैं। आज दोनों बेटियों ने वो कर दिखाया है, जिसके बारे में शायद हमने कभी सोचा भी नहीं था।वहीं दोनों बेटियां ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने स्कूल के शिक्षकों और कोच को दिया है।
अंजली और पायल ने बताया कि शिक्षकों और कोच ने ही उन्हें हैंडबॉल के लिए प्रेरित किया और प्रशिक्षण भी दिया। वहीं माता पिता ने भी कभी खेलने से नहीं रोका। जिसका ही परिणाम है कि पहले खेल में अपनी पहचान बनाई और अब देश सेवा करने जा रही हैं।