हिमाचल: अस्पताल में 4 माह बेटे को ताकता रहा पिता, मुखाग्नि देने भी नहीं आया कलियुगी बेटा

हिमाचल: अस्पताल में 4 माह बेटे को ताकता रहा पिता, मुखाग्नि देने भी नहीं आया कलियुगी बेटा

राइट न्यूज हिमाचल

देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल में अब रिश्तों की एहमियत खत्म होती जा रही है। इसका एक ताजा उदाहरण छोटी काशी कहे जाने वाले मंडी जिला से सामने आया है। यहां एक बुजुर्ग से उसके बेटे और परिवार ने ऐसा मुंह मोड़ा कि पलट कर उसका हाल तक नहीं जाना। बुजुर्ग शख्स चार माह तक अस्पताल में उपचाराधीन रहा। इस दौरान बुजुर्ग अपने बेटे और परिवार की राह देखता रहा।

बेटे और परिवार के इंतजार में आखिरकार बुजुर्ग ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया। इतना ही नहीं मरने के बाद भी बुजुर्ग को अपना परिवार नसीब नहीं हुआ और उसका कलियुगी बेटा अपने पिता की चिता को मुखाग्नि देने भी नहीं आया। जब बुजुर्ग के परिवार से कोई शख्स उसकी देह लेने नहीं आया तो नगर परिषद को ही बुजुर्ग का अंतिम संस्कार करना पड़ा।

यह मामला मंडी जिला के सरकाघाट का बताया जा रहा है।यह कहानी मंडी जिला के उपमंडल सरकाघाट की ग्राम पंचायत जमनी के गांव जनीहण के 72 वर्षीय धर्मचंद की है। धर्मचंद पहले पंजाब में रहते थे। लेकिन कुछ सालों से अपने गांव लौट आए थे। उनका बेटा पंजाब में ही रहता है। धर्मचंद बीते चार माह से अस्पताल में भर्ती थे।

सोमवार को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उनकी मौत हो गई।बताया जा रहा है कि धर्मचंद जब बीमार हुए तो गांव के लोग ही उन्हें अस्पताल में लाए थे। अस्पताल प्रबंधन ने धर्मचंद के परिवार को सूचित भी किया, बावजूद इसके परिवार से कोई उनसे मिलने नहीं आया। अस्पताल में चार माह रहे धर्मचंद की डॉक्टरों और कर्मचारियों ने ही देखभाल की।

इस दौरान धर्मचंद भी चार माह तक अपने बेटे की राह ताकते रहे।सोमवार को धर्मचंद की मौत हो गई। जिसके बाद भी कोई परिजन या उनका बेटा उनकी देह लेने नहीं आया। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन ने गांव के पंचायत प्रतिनिधियों को सूचित किया और नगर परिषद की मदद से पंचायत प्रतिनिधियों की मौजूदगी में धर्मचंद का अंतिम संस्कार किया गया।

इस बुजुर्ग को परिवार के सदस्यों का कंधा भी नसीब नहीं हुआ। इस घटना की पूरे क्षेत्र में चर्चा हो रही है।

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