मजदूर की बेटी मैरिट में 4 अंकों से चूकी, छठी में ही देखा IPS बनने का सपना

राईट न्यूज नाहन : समूचे प्रदेश में दसवीं की परीक्षा में मैरिट सूची हासिल करने वाले बच्चों की पीठ थपथपाकर हौंसला अफजाई की जा रही है। लेकिन साधारण परिवारों से ताल्लुक रखने वाली कुछ ऐसी भी मेधावी बेटियां हैं, जिन पर अगर घर के काम का बोझ न होता तो वो भी टाॅपर बन सकती थी। बता दें कि तपस्या ने 96.85 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। शंभूवाला के न्यू वे पब्लिक स्कूल में अध्ययनरत मजदूर पिता की बेटी तपस्या मात्र चार अंकों की कमी की वजह से मैरिट में जगह बनाने से चूक गई।

कमाल देखिए, ग्रामीण परिवेश की बेटी तपस्या ने अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई कर मैरिट के करीब पहुंचने में सफलता अर्जित की। आप यह भी जानकर हैरान होंगे कि तपस्या ने छठी कक्षा में ही अपने जीवन का लक्ष्य तय कर लिया था। तपस्या ने बचपन में ही आईपीएस अधिकारी बनने का सपना देख लिया था। पांवटा साहिब हाईवे पर मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर ग्रामीण परिवेश में स्थित न्यू वे पब्लिक स्कूल कई मायनों में अपनी एक अलग पहचान बनाने की तरफ तेजी से अग्रसर है। इसी स्कूल की एक अन्य छात्रा अक्षिका ने 90 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। वो भी एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती है।
नामी पाठशालाओं से पहले भी इस स्कूल में लाॅकडाउन के दौरान छात्रों के लिए एंड्रायड एप्लीकेशन लान्च कर दी गई थी। स्टुडेंटस के लिए यह सुविधा ऑनलाइन व ऑनलाइन निशुल्क है। बातचीत के दौरान सोम प्रकाश व लक्की तोमर के घर जन्मी तपस्या का कहना था कि उसे खुद भी नहीं पता कि मन में छठी कक्षा में पढ़ाई के दौरान कहां से आईपीएस बनने का विचार कौंध गया था। वो कहती है कि जमा एक में आटर्स विषय चुने हैं, ताकि इसे यूपीएससी परीक्षा के लिए आधार बनाया जा सके। कच्ची उम्र में वाकई ही एक बच्ची की ऐसी सोच काबिल-ए-तारीफ है। तपस्या के शिक्षक चमन तोमर का कहना है कि जब बच्ची ने छठी कक्षा में ही अपने लक्ष्य के बारे में उन्हें बताया था तो वो भी कुछ पल के लिए हैरान रह गए थे।

ग्रामीण परिवेश में एक मजदूर की बेटी ऐसी सोच रखती है तो निश्चित तौर पर वो भी बच्ची को लक्ष्य हासिल करने में एक कड़ी बनने की कोशिश कर रहे हैं। उधर स्कूल के एमडी नदीम आलम ने बच्ची को बधाई देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की है। उल्लेखनीय है कि 2003 में स्थापित इस स्कूल ने पिछले पांच सालों में दसवीं का सौ फीसदी नतीजा दिया है। इसी बीच अक्षिका का कहना था कि मैरिट में आने के लिए पूरी मेहनत की थी, लेकिन वो इस बात को बखूबी समझती है कि उनसे बेहतर छात्र हैं। निश्चित तौर पर वो भविष्य में टाॅपर बनने के लिए और मेहनत करेगी। उधर अक्षिका का कहना है कि वह मेडिकल की पढ़ाई करना चाहती है।

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