पांवटा साहिब — दिनांक 2 जून—2020 :— डा0 राजीब बिन्दल एक ऐसी शख्सियत है जिनके अनेकानेक संस्मरण मस्तिष्क पटल पर यूं दौड रहे है कि विश्वास नही होता कि ऐसी शख्सियत पर आरोप l और डा0 बिन्दल की देशभक्ति तो देखिये कि जरा सी उंगली क्या उठी त्वरित प्रभाव से स्तीफा सौप दिया। ना लालच , ना कोई महत्साकांक्षा, सिर्फ दिलो दिमाग में देशप्रेम, देशभक्ति।
देशभक्ति:— सही मायने में डाक्टर राजीब बिन्दल की नसो में देशभक्ति का खून ही दौड रहा है। याद आते वह आपातकाल के दिन जब डा0 बिन्दल हरियाणा में जीएएमएस की पढाई कर रहे थे कि 1974 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्व0 श्रीमति इन्दिरा गान्धी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए चुनाव के अयोग्य घोषित कर दिया था और कांग्रेस अपनी कुर्सी को बरकरार रखना चाहती थी। और देश मे आपातकाल घोषित कर दिया। ऐसे मे डा0 बिन्दल छोटे छोटे पर्चे लिखकर उनकी साइक्लास्टाइल करवाकर सुबह तडके चार बजे उठकर समाज के बुद्धिजीवियो के घर घर जाकर वह पर्चे डालकर आते थे। आपातकाल में हर किसी का मुंह बन्द कर दिया था। रेडियो तो बस सरकार का गुणगान करते नही थकते थे और मीडिया पर भयंकर पाबन्दी लगा दी गयी थी। लाखो लोगो केा जेल मे ठूंस दिया था।
ऐसे में डा0 बिन्दल के रगों में राष्ट्रीयता का जज्वा, देशभक्ति उछाल मार रही थी तो हास्टल में देशभक्ति की बाते, राष्ट्र को आगे ले जाने की बाते सब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सच्चे सिपाही होने की भूमिका अदा करते हुए देशहित में कार्यकरते रहे।
बात तो उस समय की है जब एक सौ से अधिक पुलिस वालो ने वर्ष 1975 मे नवम्बर माह में उनके हास्टल को चारो ओर से घेर लिया और बिन्दल कहां है। कहां है बिन्दल की आवाजे जोर जोर से पुलिस वाले लगते रहे यानि कि बिन्दल का खौप पुलिस के लिये बढ गया कि इतना सच्चा औरपक्का राष्ट्रभक्त् कौन पैदाहो गया जिसने पुलिस की मुश्किले बढा दी थी। जब चारो ओर से हास्टल घेर लिया तो बिन्दल के मित्रगणो ने उनको पिछले दरवाजे सेनिकाल दिया। इतने में पुलिस ने सभी मित्रो को दबोचना शुरू कर दिया मारपिटाई शुरू कर दी और एक मित्र ने जब पूरा वृतान्त सुनाया तो बिन्दल से रूका नही गया और अपने मित्रो के लिये अपनी जान जोखिम में डालते हुए आत्म समर्पण कर जोर से बोले कि यहां है बिन्दल और पुसिल ने सभी साथियो सहित बिन्दल को जेल में डाल दिया।