सिरमौर: यहां शादी में अधिक खर्च किया तो देवता को साक्षी मानकर हुक्का-पानी बंद

राइट न्यूज हिमाचल

हिमाचल प्रदेश में शादियों में हो रहे खर्च को लगाम लगाने के लिए एक नई पहल शुरू की गई है। जिला सिरमौर स्थित शिलाई उपमंडल की ग्राम पंचायत द्राबिल के लोगों ने शादी-विवाह में हो रहे अत्यधिक खर्चों को कम करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है।

पंचायत के सदस्य अब लड़के की शादी में केवल एक दिन भोज देने का निर्णय लिया है। ताकि समाज में प्रचलित अधिक खर्च की प्रथा को कम किया जाए और आम आदमी की कमर ना टूटे।

बता दें कि इससे पहले द्राबिल में लड़के की शादी में चार दिन तक भोज का आयोजन होता था, जिसके चलते लाखों रुपये का खर्च हो रहा था। वहीं, गरीब परिवारों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता था। अब पंचायत ने तय किया है कि जो भी इस निर्णय का पालन नहीं करेगा, उसे दंडित किया जाएगा और सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।ग्राम पंचायत द्राबिल में अब तक एक लड़के की शादी में चार दिनों तक का उत्सव चलता था।

पहले दिन माता का स्वागत होता था, दूसरे दिन बारात लेकर जाना और दुल्हन को लाना, तीसरे दिन दोपहर का भोज और फिर चौथे दिन पुलटोज (घर वापसी) की प्रथा होती थी। इस परंपरा के कारण विवाह समारोह में बहुत अधिक खर्च हो जाता था।अमीर परिवारों के लिए तो यह खर्च कोई विशेष समस्या नहीं था, लेकिन गरीब परिवारों पर यह अत्यधिक बोझ डालता था।

कई बार तो परिवारों को विवाह के इन खर्चों को उठाने के लिए अपनी ज़मीन तक बेचनी पड़ती थी।नए निर्णय से गरीबों को मिलेगी राहतअब पंचायत ने सामूहिक निर्णय लिया है कि दुल्हन आने के बाद केवल एक ही भोज दिया जाएगा और यह निर्णय सिर्फ लड़के की शादी तक ही सीमित नहीं होगा, बल्कि लड़की की शादी में भी यही प्रथा लागू होगी।यह फैसला पंचायत के ईष्ट देवता महासू के प्रांगण में सभी ने देवता की कसम खाकर लिया। पंचायत के सभी सदस्य इस बात पर सहमत हुए कि वे इस परंपरा को छोड़ेंगे और खर्चीले रिवाजों से बचेंगे।

इस निर्णय का उल्लंघन करने वालों के लिए पंचायत ने कड़ी सजा का प्रावधान रखा है। जो भी इस फैसले को नहीं मानेगा, उसे “हुक्का पानी बंद” (सामाजिक बहिष्कार) किया जाएगा, साथ ही उसे आर्थिक दंड भी भुगतना पड़ेगा। दंड में दोषी व्यक्ति को बकरा देना होगा और पूरे गांव को भोज भी देना पड़ेगा। पंचायत के प्रधान मदन शर्मा, पूर्व प्रधान बस्तीराम शर्मा और अन्य पंचायत सदस्य ने इस निर्णय की पुष्टि की है और कहा कि महासू देवता को साक्षी मानते हुए इसे लागू किया जाएगा।

बता दें कि निर्णय न केवल द्राबिल पंचायत के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल सामाजिक रूप से जागरूकता बढ़ाने और शादी-विवाह के खर्चों को नियंत्रित करने के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन सकती है। पंचायत के इस फैसले से गरीब परिवारों को राहत मिलेगी और समाज में एक सकारात्मक संदेश जाएगा कि सामाजिक रिवाजों और परंपराओं को बदलने की जरूरत है।

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