मानसिक बिमार लोगो की सोच  र्तिप्ता भाटिया की 🖋कलम से….

मानसिक बिमार लोगो की सोच र्तिप्ता भाटिया की 🖋कलम से….

मानसिक बीमार लोग पहले अपने आस-पास की महिलाओं को गुड मॉर्निंग, गुड नाईट के मैसज करते हैं फिर गंदे मैसेज पर आ जाते हैं। महिलाएं किसी को बताएं तो अपने ही चरित्र पर सवाल उठने का डर। पुरुष अधिकतर सोचते हैं कि इसने ही बढ़ावा दिया होगा अन्यथा बात इतनी आगे नहीं बढ़ती। इन पुरषों के दो वर्ग हैं एक सलाह देते हैं कि ब्लॉक कर दो बात खत्म कर दो दूसरा अगर महिला ब्लॉक कर दे तो उसके लिए नई परिभाषाएं तलाशता है। बता दूं महिलायें कभी नहीं चाहती हैं कि आप उनपर भद्दी टिपण्णी करें या मैसज। ब्लॉक करने से समस्या का समाधान शायद आप अकेले के लिए हो जाये पर उस इंसान की मानसिकता नहीं बदल सकती।
याद रखें इस मानसिकता लोग जो विरोध कर सकती हैं उन महिलाओं पर उंगली उठाते हैं और मासूम बच्चीयों को शिकार बनते हैं।
सोशल मीडिया पर जस्टिस फ़ॉर ट्विकल , गुड़िया
चलता है थोड़े दिनों पहले कुछ और चल रहा था उसके पहले किसी ओर के लिए हेश टैग जस्टिस चल रहा था

प्रश्न यह कि ऐसे लोग समाज में रहते हुए पहचाने क्यों नहीं जाते ?

उत्तर यह कि उन्हें सब पहचानते हैं बस बात वही के जब तक वो अपराध ना करें किसी विभत्स घटना को अंजाम ना दे तब तक कुछ लोग उन्हें बेचारा कहते हैं ओर वो उस समय उसकी छोटी गलतियों पर धर्म, जात, रिश्ते, नेता से पर्दा डालते हैं ।
ओर जब वो गम्भीर अपराध करते हैं तो दूसरे पक्ष के लोग उसे एक मौका समझ उसे उछालते हैं ।
याद रखने लायक बात यही की आप हिन्दू हो मुस्लिम हो या दलित या सवर्ण
अगर आप एक अच्छे इंसान हैं तो पक्ष हमेशा उसका ही लेना जो अच्छा हो बुरे इंसान का साथ आपको बुराई ही नहीं आपके ही परिवार के लिए खतरा भी दे सकता हैं ।
क्योंकि बुरा इंसान सबसे पहले नुकसान नजदीक वालो को देता हैं ।
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