गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की याद में पहली बार मनाया जाएगा ‘वीर बाल दिवस’

गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की याद में पहली बार मनाया जाएगा ‘वीर बाल दिवस’

गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों (बाबा जोरावर सिंह जी व बाबा फतेह सिंह जी) के शहीदी दिवस पर 26 दिसम्बर को पहली बार ”वीर बाल दिवस” मनाया जा रहा है। यह आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर होगा, जिसको लेकर देशभर में आयोजन किए जाएंगे।

मुख्य समागम 26 दिसम्बर को राजधानी के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह व अन्य केन्द्रीय मंत्रियों सहित देशभर से सिख श​​ख्सियतें शामिल होंगी। यह साहिबजादों का 319वां शहीदी दिवस है इसलिए 319 बच्चों द्वारा शब्द कीर्तन करते हुए कार्यक्रम का आगाज किया जाएगा।

इसके बाद अद्भुत मार्च निकाला जाएगा जिसे प्रधानमंत्री मोदी स्वयं रिसीव करेंगेे, इससे पूरे देश में संदेश जाएगा कि हम साहिबजादों का शहीदी दिवस मनाने जा रहे हैं। इस उपलक्ष्य में देशभर के 15 लाख स्कूलों में सुबह की प्रार्थना सभा में बच्चों को साहिबजादों की शहादत के इतिहास की जानकारी दी जाएगी।

चार साहेबजादों की साखी

कहते हैं कि संघर्ष की शुरुआत आनंदपुर साहिब किले से हुई थी। जब गुरु गोबिंद सिंह और मुगल सेना के बीच कई महीनों तक युद्ध हुआ था। हिम्मत देखकर औरंगजेब भी दंग रह गया था। अंत में औरंगजेब ने गुरुजी को चिट्ठी लिखी थी। औरंगजेब अपने वादे से मुकर गया और किले से कुछ दूर जाते ही गुरु गोबिंद सिंह जी की सेना पर वजीर खान व मुगल सेनाओं ने पिछे से हमला कर दिया। इस मे बाईस धार के पहाड़ी राजाओं ने भी मुगल सेनाओं का साथ दिया। गुरुजी के साथ सरसा नदी पार कर बड़े साहिबजादे चमकौर साहिब गढ़ी पहुंचे। जबकि दो छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह और साहिबजादे फतेह सिंह अपनी दादी माता गुजरी के साथ चले गए। इसी दौरान उन्हे गुरु घर का रसोइया गंगू अपने साथ ले गया रात को गंगू के मन मे लालच आ गया वजीर खान से इनाम पाने की चाहत में उसने माता जी और गुरु साहिब के बच्चो को गिरफ्तार करवा दिया मोरिंडा के कोतवाल ने साहिबजादों और माताजी को कैद कर लिया। उसके बाद उन्हे सरहिंद ले जाया गया यहां नवाब वजीर खान ने साहिबजादों को धर्म परिवर्तन करने के लिए कहा हर तरह का लालच दिया। मौत का डर भी दिया लेकिन उन्होंने इस्लाम कबूल करने से मना कर दिया। जवाब सुनकर नवाब वजीर खान आगबबूला हो गया। मौके पर मौजूद काजी ने फतवा जारी किया। इस फतवे में लिखा था कि ये बच्चे बगावत कर रहे हैं और इन्हें जिंदा दीवार में चुनवा दिया जाना चाहिए। ऐसा ही हुआ और अंत तक उन्होंने इस्लाम धर्म को कबूल नहीं किया और शहीद हो गए।

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