उन्मुक्त वातावारण के साथ साथ सामाजिक सद्भभाव की मिसाल कायम की सिरमौर पुलिस ने कोरोना संकट में

उन्मुक्त वातावारण के साथ साथ सामाजिक सद्भभाव की मिसाल कायम की सिरमौर पुलिस ने कोरोना संकट में

सिरमौर — सदैव सिरमौर कहे जाने वाले जिला ने कोरोना संकट के समय में उन्मुक्त वातावरण बनाते हुए सामाजिक सद्भभाव कायम रखते हुए भी सख्ती व कानून व्यवस्था कायम रखने में बेहतरीन मिसाल कायम कर समाज के सा​थ पुलिस महकमे को आइना दिखाने का जो कार्य किया वह सराहनीय माना जा रहा है।

सिरमौर पुलिस के अधीक्षक अजयकृष्ण शर्मा ने कुशल प्रशासक की भूमिका निभाते हुए इस संकट की घडी में भी सभी पुलिस कर्मियो का मनोबल तो बढाया ही साथ ही सामाजिक सद्भभाव की मिसाल कायम करते हुए समाज में ऐसा माहौल उत्पन्न कर दिया जिससे आम जन मानस, शहर के बुद्धिजीवी, समाजसेवियो ने कडी धूप में ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियो को ना कि दिल से लगाया बल्कि कही पुष्प वर्षा, कही माल्यार्पण तो कही चाय, ठण्डा पानी, भोजन आदि की व्यवस्था कर एकता और अखण्डता की मिसाल कायम करते हुए कोरोना महामारी सेजम कर मुकाबला किया। छुटपुट बातो के अलावा कोई भी बडा ऐसा मामला सामने नही आया जिससे कही भी टकराव की स्थिति पैदा हो।

वही दूसरी ओर कप्तान अजय कृष्ण शर्मा के सख्त आदेशो के बाद पुलिस कर्मियो ने भी बेशक बारह से चौबीस घन्टे ड्यूटी देकर सामाजिक निर्वहन व कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल कायम की अपितु मानवता की कई मिसाले कायम करते हुए समाज की नजरो में एक अच्छे मित्र, समाज के रक्षक की भूमिका अदा की। जिससे प्रभावित होकर एक कदम पुलिस महकमा ने बढाया तो पांवटा की जनता ने तीन कदम आगे बढकर पुलिस का मनोबल बढाते हुए सम्मान देकर हौसला अफजाई करने में भी कोई कोर कसर नही छोडी।

इस संकट की घडी में सरकार व आला अधिकारियो के दिशा निर्देशनो की अनुपालना करते हुए खुद एसपी सिरमौर कई मर्तबा पूरे जिले का दौरा कर एक एक बात पर पैनी नजर बनाते हुए उचित मार्गदर्शन के साथ साथ दिशा निर्देश समय समय पर जारी करते दिखे। वही दूसरी अेार सभी सीमाओ को सील कर एक भी संक्रमित नही पहुच सका बजाय उन दिल्ली वाली महिला को छोडकर वही से थोडा सा पैनिक क्रियेट हुआ अन्यथा पूर्ण शान्ति व सौहार्द के साथ कोरोना संक्ट से लडाई लडने में सिरमौर की जनता व पुलिस विभाग ने बेहद बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए जिला को वास्तव में सिरमौर बना दिया।

यह भी गौर करने योग्य है कि सिरमौर के चेहेते पुलिस अधीक्षक देर रात्रि तक लोगो की समस्याओ को खुद मोबाइल पर सुनते और पैनी नजर रखते हुए पूरे जिले पर नियंत्रण कर बेहतरीन प्रशासक की भूमिका निभाते देखे गये। कई मर्तबा स्वये पितामह सम्पादक ने भी रात्रि दो तीन बजे तक भी फोन कर बातचीत की तो कप्तान ने तुरन्त फोन रिसीव कर उचित प्रत्युत्तर दिया ऐसे अर्धरात्रि में ना तो वे नाराज हुए और ना ही फोन बन्द करके रखा।

कुल मिलाकर वर्तमान समय में जो पुलिस अधीक्षक के अथक प्रयासो से जनता व पुलिस में जो सामन्जस्य पैदा हुआ है वह सराहनीय तो है ही साथ ही ऐतिहासिक भी है।

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