क्यू मनाया जाता है करवा चौथ पढिये, पौराणिक व्रत कथा, Right news  Himachal

क्यू मनाया जाता है करवा चौथ पढिये, पौराणिक व्रत कथा, Right news Himachal

Karwa Chauth Vrat Story: 

आज करवा चौथ का पवित्र त्यौहार मनाया जा रहा है। आज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के लिए व्रत करती हैं। यह व्रत शादीशुदा महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस व्रत का महिलाएं पूरे वर्ष इंतजार करती हैं। करवा चौथ के व्रत की एक पौराणिक कथा भी है। यहां हम आपको यही कथा सुना रहे हैं। आइए पढ़ते हैं करवा चौथ की व्रत कथा।

तुंगभद्रा नदी के पास देवी करवा अपने पति के साथ रहती थीं। एक दिन उनके पति नदी में स्नान करने गए। वहां उन्हें एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में खिंचने लगा। करवा के पति उन्हें पुकारने लगे क्योंकि उन्हें मृत्यु अपने करीब देख रहे थे। आवाज सुनकर जैसे ही करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं तो उन्हें देखा कि मगरमच्छ उनके पति को मुंह में पकड़कर नदी में ले जा रहा था। यह देखकर तुरंत ही करवा ने एक कच्चा धागा लिया और मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया। करवा का सतीत्व इतना मजबूत था कि वो कच्चा धागा टस से मस नहीं हुआ।

अब स्थिति ऐसी थी मगरमच्छ और करवा के पति दोनों के ही प्राण संकट में थे। फिर करवा ने यमराज को पुकारा। करवा ने यमराज से प्रार्थना की कि वो उनके पति को जीवनदान और मगरमच्छ को मृत्युदंड दें। लेकिन यमराज ने उन्हें मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मगमच्छ की आयु अभी बाकी है तो वो उन्हें मत्युदंड नहीं दे सकता है। लेकिन उनके पति की आयु शेष हो गई है। यह सुनकर करवा बेहद क्रोधित हो गईं। उन्होंने यमराज को शाप देने को कहा। सती के शाप से भयभीत होकर यमराज ने तुरंत ही मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया। साथ ही करवा के पति को जीवनदान दे दिया।

यही कारण है कि करवा चौथ का व्रत किया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना। करवा माता के द्वारा बांधा गया वो कच्चा धागा प्रेम और विश्वास का था। इसके चलते ही यमराज सावित्री के पति के प्राण अपने साथ नहीं ले जा पाए।

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