राइट न्यूज हिमाचल
व्यवस्था परिवर्तन का दावा करने वाली सुखविंदर सिंह सुक्खू की कांग्रेस सरकार के राज में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था इस कदर बीमार है कि एक मामूली सी खांसी भी जानलेवा हो सकती है। आप भले यकीन न करें, लेकिन सोलन के बद्दी सिविल अस्पताल में यही हुआ। चंबा के विपिन अपने चार साल के बेटे को खांसी की शिकायत लेकर सिविल अस्पताल आए थे।
नाइट ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर गहरी नींद में था। उसने लापरवाही से बच्चे को देखा और कह दिया कि उसे कल लेकर आना। बच्चे की बिगड़ती हालत देखकर विपिन बेटे को पीजीआई चंडीगढ़ लेकर पहुंचे तो डॉक्टर ने जांच के बाद कह दिया कि बच्चा हमेशा के लिए सो गया। वह कभी नहीं उठेगा।
अब बद्दी का सिविल अस्पताल प्रबंधन अपनी जानलेवा लापरवाही से पल्ला झाड़ते हुए कह रहा है कि नाइट ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर खुद घायल है। लाठी लेकर चलता है। उसने अपनी क्षमता से बच्चे का पूरा इलाज किया। गलती तो बच्चे के माता-पिता की थी, जिन्होंने उसकी खांसी रोकने के लिए कफ सिरप दे दिया था। चंबा के सलूनी के रहने वाले विपिन कुमार बद्दी के झाड़माजरी में रहते हैं।
उनका आरोप है कि नाइट ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने बच्चे को त्वरित इलाज देने की बजाय ही बिस्तर पर बैठे ही कहा कि इसको कल लेकर आना और अभी इसका इलाज नहीं हो सकता। डाक्टर गहरी नींद में था। डॉक्टर ने बेटे को एक दवाई लेकर बोल दिया कि सुबह देखेंगे। मां-बाप भी इंतजार करते रहे। लेकिन बच्चे की हालत बिगड़ती रही।बदकिस्मत पिता ने बच्चे को बेहोश होते देख ऑटो बुलाया और पीजीआई चंडीगढ़ के लिए निकल पड़े।
लेकिन वहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। विपिन ने कहा कि मैंने अपने बच्चे को पांच एमएल कफ सिरप दिया था, क्योंकि वह पिछले दो दिनों से बहुत खांसी से पीडि़त था। डयूटी पर उपस्थित डा. एमएस चौहान ने कहा चोट लगने के कारण वह नहीं उठ पाया। उन्होंने कहा कि फिर पिता ने बच्चे को बाहर से दवाई लेकर आया था और मैंने बच्चे को अच्छी तरह ईलाज किया। लगाए गए समस्त आरोप निराधार है। मैं खुद बीमार हूं और स्वयं स्टिक से चल रहा हूं कि इसलिए मैंने बिस्तर में बैठे-बैठे इलाज भी किया। पिता ने अपने बच्चे को बाहर से लाई दवाई की ओवरडोज दे दी थी।