सिरमौर: मेडिकल काॅलेज नाहन में बनेगी एंटीबायोटिक पॉलिसी, असरदार दवा ही लिख पाएंगे डाॅक्टर

सिरमौर: मेडिकल काॅलेज नाहन में बनेगी एंटीबायोटिक पॉलिसी, असरदार दवा ही लिख पाएंगे डाॅक्टर

राइट न्यूज हिमाचल

डाॅ. वाईएस परमार मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल नाहन में एंटीबायोटिक पॉलिसी बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके तहत मेडिकल काॅलेज के डाॅक्टर इन्फैक्शन से ग्रस्त मरीजों को सिर्फ वही असरदार दवाई लिख पाएंगे, जिससे मरीज के ठीक होने की संभावना शत-प्रतिशत हो। इसके लिए मेडिकल काॅलेज प्रबंधन एक कमेटी बनाने जा रहा है, जिसमें फार्मा, क्लीनिकल और माइक्रोबायोलॉजी विभागों के सदस्यों को शामिल किया जाएगा।

इस पॉलिसी के निर्माण के बाद डाॅक्टर मरीजों को अलग-अलग दवाइयां नहीं लिख पाएंगे। सिर्फ वही दवाई मरीज को देनी होगी, जो पॉलिसी के अंतर्गत आती हो। दरअसल मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल प्रबंधन की हाल ही में हॉस्पिटल इन्फैक्शन कंट्रोल कमेटी की बैठक हुई, जिसमें कई अहम निर्णय लिए गए। सबसे पहले कमेटी ने यह पाया कि अस्पताल में कई तरह के मरीज आते हैं, जिनमें इन्फैक्शन के मामले भी अलग-अलग होते हैं।

ऐसे मरीजों को इन्फैक्शन से बचाने के लिए कई बार ऐसी दवाइयां भी लिखी जाती हैं, जिनका असर मरीज पर नहीं होता। इसको ध्यान में रखते हुए कमेटी की एंटीबायोटिक पॉलिसी बनाने की सहमति बनी है। कमेटी ने यह भी पाया कि अस्पताल प्रबंधन के पास मरीजों के ब्लड सैम्पल, ब्लड कल्चर और यूरीन कल्चर आदि का रिकाॅर्ड उपलब्ध रहता है, साथ ही प्रबंधन के पास यह तमाम डाटा भी उपलब्ध है कि किस कीटाणु यानी इन्फैक्शन के लिए कौन-सी दवा ज्यादा असरदार है और कौन-सी नहीं।

ऐसे में अस्पताल प्रबंधन ने इस बैठक में एंटीबायोटिक पॉलिसी बनाने का निर्णय लिया है, ताकि मरीज को एक बार में ही वहीं दवाई दी जाए, जिससे उसके ठीक होने की संभावना पूरी की पूरी हो। उम्मीद है कि जल्द ही यह पॉलिसी बनकर तैयार होगी और प्रबंधन इसे लागू कर भी देगा। मेडिकल काॅलेज नाहन के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. अजय पाठक ने बताया कि अस्पताल के लिए एक एंटीबायोटिक पॉलिसी बनाने का निर्णय लिया गया है।

इसको लेकर एक कमेटी का गठन किया जा रहा है, जो इस पॉलिसी को बनाएगी। पॉलिसी लागू होने के बाद डाॅक्टर मरीज को वहीं दवाई लिख पाएंगे, जिससे मरीज के ठीक होने की संभावना पूरी की पूरी हो। डाॅक्टर से भी अनुरोध रहेगा कि वह पॉलिसी के दायरे में ही रहकर दवाइयां लिखे। जल्द ही मेडिकल काॅलेज में यह पॉलिसी लागू की जाएगी।

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