हिमाचल में अगले 5 दिन जमकर होगी बारिश-बर्फबारी, यहां जानें मौसम का हाल

हिमाचल में अगले 5 दिन जमकर होगी बारिश-बर्फबारी, यहां जानें मौसम का हाल

राइट न्यूज हिमाचल

हिमाचल प्रदेश के मौसम में पिछले कल रात से बदलाव देखने को मिल रहा है। बताते चलें कि आगामी 5 दिनों में प्रदेश भर में बारिश और बर्फबारी की संभावनाएं है। उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की बारिश और बर्फबारी होने का अलर्ट जारी किया गया है।

मौसम विभाग के अनुसार, आज से वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) एक्टिव हो रहा है जिसका प्रभाव प्रदेश के पांच जिलों में देखने को मिलेगा। वेस्टर्न डिस्टरबेंस के सक्रिय होने से लाहौल स्पीति, कुल्लू, किन्नौर, कांगड़ा और मंडी जिलों की उच्च पर्वतीय चोटियों पर हल्की बारिश-बर्फबारी की संभावना है।

खासकर 8 और 10 फरवरी को पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा सक्रिय रहेगा, जिससे इन क्षेत्रों में बर्फबारी का अनुमान है। इसके अलावा, मध्यम ऊंचाई वाले कुछ स्थानों पर भी हल्की बारिश और बर्फबारी हो सकती है। इस मौसम परिवर्तन के साथ, पहाड़ों में बर्फबारी के बाद तापमान में गिरावट आ रही है। प्रदेश के अधिकांश इलाकों का न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे गिर चुका है, जिससे ठंड बढ़ गई है।

पिछले तीन दिनों में पहाड़ों में हुई बर्फबारी के कारण रात के तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। प्रदेश का औसत न्यूनतम तापमान भी सामान्य से 1.7 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया है। लाहौल स्पीति के कुकुमसैरी में न्यूनतम तापमान माइनस -12.2 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया।ताबो में माइनस -11 डिग्री, केलांग में माइनस -11.4 डिग्री और कल्पा में माइनस -3.4 डिग्री तक तापमान गिरा।

शिमला में न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों जैसे ऊना (1.6 डिग्री), सोलन (1.2 डिग्री), पालमपुर (1.5 डिग्री), भुंतर (0.8 डिग्री) और बिलासपुर (3.1 डिग्री) का पारा भी गिरकर ठंड बढ़ा रहा है।बता दें कि प्रदेश में इस विंटर सीजन1 जनवरी से 7 फरवरी में सामान्य से 72% कम बारिश और बर्फबारी हुई है।

इस दौरान सामान्यत: 104.7 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस साल केवल 29.5 मिलीमीटर ही बारिश-बर्फबारी हुई है। इससे राज्य में सर्दी का असर और भी अधिक महसूस हो रहा है, हालांकि आगामी दिनों में मौसम में बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।

वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण अगले कुछ दिन प्रदेश के ऊंचे इलाकों में बर्फबारी का दौर जारी रह सकता है। इन बदलावों से तापमान में और गिरावट आएगी, जिससे शीतलहर की स्थिति और गंभीर हो सकती है।

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