दाम गिरने से अरबों के सेब कारोबार पर संकट बढ़ा, प्राइवेट कंपनियों के खिलाफ बागवानों का गुस्सा

दाम गिरने से अरबों के सेब कारोबार पर संकट बढ़ा, प्राइवेट कंपनियों के खिलाफ बागवानों का गुस्सा

राईट न्यूज / शिमला

सेब के दामों में भारी गिरावट होने से अरबों के कारोबार पर संकट बढ़ गया है। इससे चिंतित मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बागवानों से मंडियों और मार्केट में सेब की फसल को अभी कम भेजने को कहा है। बीते 15 दिन के भीतर सेब के दाम 1000 से 1200 रुपये प्रति पेटी (25 से 30 किलो) तक गिर चुके हैं। पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में सीएम ने कहा कि सरकार सारी परिस्थिति पर नजर रखे हुए है। सेब के दाम में एकाएक बड़ी गिरावट आई है। इससे बागवान चिंतित हैं।

उधर, मंडियों में रेट गिरने पर बागवान निजी कंपनियों से अच्छे रेट की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन सेब खरीद करने वाली अडानी की कंपनी ने इस साल 10 साल पुराने रेट खोले हैं। 2011 में अडानी ने 65 रुपये प्रति किलो रेट पर सेब खरीद की थी। इस साल भी कंपनी करीब इसी रेट पर सेब खरीद शुरू करने जा रही है। इस साल प्रदेश में करीब साढ़े चार करोड़ पेटी सेब उत्पादन का अनुमान है। करीब 3 करोड़ पेटी सेब अभी मंडियों में जाना बाकी है।

बढ़िया गुणवत्ता वाला सेब इन दिनों मंडियों में प्रति पेटी औसतन 1500 और अधिकतम 1800 रुपये तक बिक रहा है। जो कुछ अरसा पहले 3000 रुपये से भी ऊपर बिक रहा था। कम गुणवत्ता वाला सेब 500 से 800 रुपये में जा रहा है। बागवान सेब के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने की मांग उठा रहे हैं। निराश बागवान किसान आंदोलन के समर्थन में भी आवाज बुलंद करने लगे हैं। बागवानों का कहना है कि सरकार ने निजी कंपनियों को करोड़ों रुपये अनुदान दिया है। इसके बावजूद कंपनियां उनका शोषण करने पर उतारू हैं।

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