10वीं-12वीं के विद्यार्थियों को ऑनलाइन साइंस पढ़ा रहा कैदी, सालाना 8 लाख का पैकेज

10वीं-12वीं के विद्यार्थियों को ऑनलाइन साइंस पढ़ा रहा कैदी, सालाना 8 लाख का पैकेज

हिमाचल की एक जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा कैदी 10वीं-12वीं के विद्यार्थियों की ऑनलाइन क्लास ले रहा है। यह ऐसे समय में हुआ है जब कोरोना काल में बड़े-बड़ों के रोजगार छूट गए और वे घर बैठ गए हैं। ऑनलाइन क्लास लेने वाली एक नामी कंपनी ने कैदी को उसकी काबिलियत देखते हुए आठ लाख रुपये सालाना पैकेज पर बतौर साइंस टीचर हायर किया है। कैदी के इस सकारात्मक रुख को देखते हुए जेल विभाग भी उसे हरसंभव सहायता देकर आगे बढ़ने में मदद कर रहा है। हिमाचल में ऐसा पहला मामला है, जब किसी कैदी को किसी शैक्षणिक संस्था ने इतने बड़े पैकेज पर अपने यहां सेवाएं देने के लिए चुना है।

राजधानी शिमला की जेल में बंद कैदी ने राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी संस्थान से पढ़ाई की है। वर्ष 2010 में प्रेमिका के साथ आत्महत्या की कोशिश के दौरान प्रेमिका की मौत और इसके बच जाने ने इसके जीवन को बदल दिया। हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा हुई और जेल में दिन काटने लगा। इस बीच डीजी जेल सोमेश गोयल ने हर हाथ को काम अभियान शुरू कर हुनरमंद कैदियों को काम दिलाने की कवायद शुरू की। तकनीकी शिक्षा हासिल किए इस कैदी से शुरुआती दौर में जेल विभाग के तकनीकी कार्यों के लिए सेवाएं लेना शुरू किया। इसके बाद जेल विभाग की भर्ती परीक्षा के लिए भी सॉफ्टवेयर बनाने में उसने मदद ली।

पढ़ा-लिखा होने के  कारण पिछले साल उसने एक स्थानीय कोचिंग सेंटर में युवाओं को पढ़ाना शुरू किया। उसके पढ़ाने का तरीका इतना अच्छा था कि बच्चों ने भी उससे ही पढ़ने में रुचि दिखानी शुरू कर दी। नाम बढ़ा तो कुछ समय पहले उसे देश की एक नामी कंपनी ने ऑनलाइन साइंस की क्लास पढ़ाने के लिए रख लिया। डीजी जेल ने बताया कि किन्हीं कारणों से सजा काटने वाले लोगों को आगे बढ़ने में मदद करना जरूरी है। ऐसे प्रयास किए गए हैं, जिससे उद्योगों व कंपनियों के सहयोग मिलने से कैदियों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

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