राईट न्यूज / जुब्बल
उप चुनावों के बाद आगामी विधानसभा चुनावों में भी अगर प्रदेश सरकार हार का मुंह नहीं देखना चाहती तो किसानों की नाराजगी मोल न ले। अगर सरकार ने किसान बागवानों की मांगें हल नहीं की तो दिल्ली की तर्ज पर आंदोलन होगा। गुरुवार को शिमला जिले के जुब्बल में आयोजित संयुक्त किसान मंच की बैठक में आगामी आंदोलन की रुपरेखा पर विचार विमर्श किया गया। संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान ने बताया कि उपचुनाव में करारी हार से भी सरकार ने सबक नहीं लिया है। अगर यही रवैया रहा तो इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों में सरकार को करारी हार का मुंह देखना पड़ेगा।
हरीश चौहान ने कहा कि सरकार प्रदेश के 90 फीसदी किसान बागवानों की अनदेखी कर रही है जबकि चुनावी वर्ष में 7 फीसदी कर्मचारियों की कुछ मांगे मान ली हैं। कर्मचारी भी किसान बागवानों के ही भाई और बच्चे हैं। किसानों की अनदेखी सरकार को भारी पड़ेगी। संजय चौहान ने बताया कि किसानों और बागवानों के मुद्दों के लिए संघर्षरत संयुक्त किसान मंच ने ‘जवाब दो सरकार’ अभियान के दूसरे चरण के तहत बैठकें आयोजित करनी शुरू कर दी हैं। जनवरी, फरवरी और मार्च में प्रदेश के सभी 12 जिलों में ब्लॉक स्तर पर बैठकें होंगी। इस दौरान 15 सूत्रीय मांगपत्र को लेकर तैयार पर्चा प्रदेश के हर घर तक पहुंचाया जाएगा। अप्रैल में प्रदेश स्तरीय किसान बागवान अधिवेशन आयोजित होगा। दिल्ली की तर्ज पर राजधानी शिमला में धरना भी होगा।
इसलिए नाराज हैं बागवान
संयुक्त किसान मंच ने पांच माह पहले 24 अगस्त को सरकार को मांग पत्र भेजा था। 13 सितंबर को ब्लॉक, तहसील, उपमंडल और जिला स्तर पर प्रदर्शन हुए। 27 सितंबर को संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद के आह्वान पर संयुक्त किसान मंच ने अपनी मांगों को लेकर बंद तथा प्रदर्शन किए। बावजूद इसके सरकार ने सुध नहीं ली। 68 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंच बनाने की तैयारी प्रदेश की 90 फीसदी आबादी किसानी बागवानी से जुड़ी है। 17 विधानसभा क्षेत्र सीधे तौर पर जबकि 10 आंशिक तौर पर बागवानी से जुड़े हैं। 27 विधानसभा क्षेत्रों में मंच का सीधा प्रभाव है।