राईट न्यूज / शिमला
प्रदेश में सड़क हादसों का बड़ा कारण सड़कों की खराब इंजीनियरिंग बनकर उभरी है। ट्रैफिक, टूरिज्म एंड रेलवे (टीटीआर) विभाग के आंकड़ों के अनुसार खराब इंजीनियरिंग की वजह से वाहन खाई में गिर रहे हैं। खाई में वाहन गिरने के 90 फीसदी मामलों में लोगों की जान जा रही है। आंकड़ों के अध्ययन में पता चला है कि ऐसे अधिकतर मामले ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे हैं। हादसों के पीछे तीखे, अंधे मोड़ और संकरे रास्ते प्रमुख कारण हैं। ज्यादातर जगहों पर तेज रफ्तार के चलते वाहन के अनियंत्रित होने और क्रैश बैरियर की गैर मौजूदगी भी नुकसान पहुंचा रही है।
अध्ययन में कारण सामने आने के बाद टीटीआर के एआईजी संदीप धवल ने एक रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेजी है। इसके आधार पर डीजीपी संजय कुंडू सड़कों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार को पत्र लिख रहे हैं। धवल बताते हैं कि अगर सिर्फ इसी साल की बात करें तो जनवरी से अब तक खाई में वाहन गिरने के 418 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें 408 ग्रामीण तो 9 शहरी क्षेत्रों में हुए हैं। हादसों में 392 की जान गई है। इनमें भी सबसे ज्यादा 133 हादसे शिमला जिले में हुए हैं, जिनमें 129 लोगों ने जान गंवा दी।
ये प्रमुख कारण आए हैं सामने
खाई में वाहनों के गिरने के मामलों की जांच के दौरान तेज रफ्तार और खतरनाक तरीके से वाहन चलाने के अलावा क्रैश बैरियर की कमी भी प्रमुख वजह है। 60 मामलों में क्रैश बैरियर न होने से वाहन खाई में गिर गए, जबकि 9 मामलों में अंधे मोड़ होने की वजह से हादसे हुए। 15 मामलों में स्लिपरी या खराब सड़क हादसे की वजह बनी।
डीजीपी संजय कुंडू कहते हैं कि पुलिस की लगातार सख्ती और कार्रवाई की वजह से हादसों में कमी आई है, लेकिन आंकड़ों से स्पष्ट है कि खाई में वाहन गिरने से मौत के मामले काफी बढ़ गए हैं। इन्हीं को देखते हुए कारणों को चिह्नित कर उन्हें दूर करने के लिए सरकार को पत्र लिखा जा रहा है।