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पांवटा साहिब — शहर के चिरपरिचित समाजसेवी हेमन्त शर्मा की नजर बीते रोज एक वारह वर्षीय बच्चे पर पड गयी। अब दिमाग में सहायता की बाते हिलोरे लेने लगी। क्यो कि दो चार दिनपूर्व ही उसके पिता का संस्कार हेमन्त ने ही किया था। माता अपने पति व बच्चो को छोडकर चली गयी थी। अनायास अब बच्चे के सिर से पिता का साया भी उठ गया था।

उल्लेखनीय है कि वे ही हेमन्त शर्मा है जो लावारिस लाशो के अन्तिम संस्कार मे, जीवन के अन्तिम यात्रा के भागीदार बनते है और संस्कार कर समाज के व अपने जीवन के एक बडे दायित्व का निर्वहन करते है।

बच्चे के पिता की मौत के बाद वह 12बर्षीय बच्चा लावारिस हो गया था हेमेन्त शर्मा ने कानूनी प्रक्रिया के अपनाते हुए बच्चे को अपने साथ ही रख लिया ताकि दर दर की ठोकरे ना खा सके और उसका शेाषण ना हो सकेे। यह सोच समाज के बडे बडे ठैकेदार, फोटो खैचू, छपासरोग से पीढित, ड्रामेवाज समाजसेवियो में नही आई। कहां हम कटाक्ष कर रहे है कि ऐसी संस्थाओ को प्रशासन को त्वरित प्रभाव से रदद्ध कर देना चाहिये जो समाज के हित में काम ना करके निजी हित स्वार्थ सिद्द्धी में लगे रहते हेै और खासकर संस्थाओ में पद पाने की लालसा में ऐडी से चोटी तक का जोर लगा निजी हित साधने में जुटै रहते है। ऐसी फर्जी संस्थाओ / निष्किृय संस्थाओ को प्रशासन को तुरन्त ही रद्द्ध कर देना चाहिये। तथा उनको भी रद्द्ध करना चाहिये जो संस्थाओ की आड में गुण्डई करती रही।

हेमन्त बने अभिभावक :— फिलवख्त हेमन्त उस 12 बर्षीय बच्चे के अभिभावक बन उसे आश्रय देते हुए उसके रहने खाने आदि का उचित प्रबन्ध कर अपने साथ ही रख लिया है। सूत्र बता रहे है कि उस बच्चे को गोद लेने के लिये शहर के कई मानवीय संवेदनाओ से ओतप्रोत लोगो के फोन भी आ रहे है। किन्तु हेमन्त शर्मा ने अभी तक निर्णय नही लिया है अभी बच्चे के खुद ही अभिभावक बन पिता की भूमिका निभाने में कोई कसर नही छोड रहे। सल्यूट है हेमन्त को।

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