राइट न्यूज हिमाचल
सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। पिछले सात-आठ वर्षों से पांवटा सिविल अस्पताल के अल्ट्रासाउंड कक्ष में ताले लटके हैं। गर्भवती महिलाओं को नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड टेस्ट सुविधा पांवटा अस्पताल में कागजी साबित हो रही है।
क्षेत्र की महिलाओं को भारी राशि खर्च कर निजी अस्पतालों में टेस्ट करवाने पड़ रहे हैं। जिला के सबसे ज्यादा ओपीडी वाले सिविल अस्पताल पांवटा साहिब के अल्ट्रासाउंड रूम में पिछले करीब सात-आठ सालों से ताला लटका हुआ है।
यहां पर प्रतिदिन औसतन 50 से अधिक गर्भवती महिलाओं और सामान्य पेशेंटों को अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए लिखा जाता है, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट न होने के कारण उन्हें निजी लैब में अधिक पैसे चुकाकर अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक सात-आठ साल पूर्व पांवटा सिविल अस्पताल के प्रभारी और रेडियोलॉजिस्ट यहां से प्रमोट होकर चले गए तब से अल्ट्रासाउंड के कमरे पर ताला लटका हुआ है।
इस दौरान बीच में धरना प्रदर्शन के बाद एक महिला रेडियोलॉजिस्ट आई थी वह भी तीन दिन तक अपनी सेवाएं देकर चली गई। तब से अल्ट्रासाउंड कक्ष में ताला लटका हुआ है।इससे सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव गरीब वर्ग की गर्भवती महिलाओं पर पड़ रहा है जिन्हें नौ महीने के अंतराल में तीन से चार बार अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ता है।
लोगों का कहना है कि जब सोलन अस्पताल में दो रेडियोलॉजिस्ट हो सकते हैं तो सरकार पांवटा सिविल अस्पताल के लिए एक रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं दे सकती। स्थानीय लोगों ने पांवटा सिविल अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के रिक्त पड़े पद को जल्द भरे जाने की प्रदेश सरकार से मांग की है, ताकि गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिल सके और लाखों रुपए की मशीन जंग लगने से बच जाए।
कई समितियों द्वारा सीएमओ सिरमौर से भी इस समस्या का जल्द हल करवाने की मांग उठाई थी, लेकिन हालात अभी भी जस के तस हैं। उधर, इस बारे में अस्पताल के प्रभारी डा. सुधि गुप्ता ने बताया कि विभाग को यहां पर रेडियोलॉजिस्ट के रिक्त पड़े पद भरने की मांग की गई है।
उनके द्वारा एक पत्र उच्च विभाग को लिखा गया है जिसमें रेडियोलॉजिस्ट व एनेस्थिसिया के डाक्टर के लिए मांग की गई है। उम्मीद है कि जल्द ही अस्पताल में यह पद भरे जाएंगे।
