पांवटा साहिब: किसानों से मिले सुखराम चौधरी, कहा किसानों की मांग जायज

पांवटा साहिब: किसानों से मिले सुखराम चौधरी, कहा किसानों की मांग जायज

राइट न्यूज हिमाचल / पांवटा साहिब

पांवटा साहिब देहरादून फोरलेन के निर्माण के बीच आ रही भूमि का मुआवजा ना मिलने नाराज किसान 12 दिन से धरने पर है। पांवटा के भूपपूर केदारपुर क्षेत्र के ग्रामीणों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है, जबकि निर्माण कंपनियों ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है। इसके खिलाफ ग्रामीण पिछले बारह दिनों से धरने पर बैठे हैं और अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कंपनियां जमीनों पर कब्जा ले चुकी है मनमाने तरीके से कार्य कर रही हैं, लेकिन प्रभावितों को मुआवजा नहीं मिला न कोई अधिकारी आया।

उनका कहना है कि वर्तमान में निर्माण कार्य रोक दिया गया है, लेकिन अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला तो कंपनियां दोबारा काम शुरू कर सकती हैं, जिससे उन्हें फिर से परेशानी झेलनी पड़ेगी। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि जब तक उन्हें जमीन का मुआवजा नहीं मिल जाता, तब तक निर्माण कार्य को पूरी तरह से रोका जाए।


वहीं स्थानीय विधायक पूर्व मंत्री सुखराम चौधरी ने धरना स्थल पर पहुंचकर ग्रामीणों से मुलाकात की। उन्होंने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया इन छोटे किसानों कि मांगों को सरकार तक पहुंचाया जाएगा और मुआवजा दिलाने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की मांगें पूरी तरह जायज हैं और इस संबंध में वह फिर से अधिकारियों से बात करेंगे। जब तक ग्रामीणों को उनका हक नहीं मिल जाता, हम इस मुद्दे को पहले भी दो बार विधान सभा में उठा चुके हैं और जब तक मुआवजा नहीं मिलता तब तक उठाते रहेंगे। पूर्व मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा एसडीएम पांवटा साहिब के पास मुआवजे की रकम होल्ड पड़ी है उस पर किसी विभाग ने कोर्ट स्टे लिया है जब तक वहां से फैसला नहीं होता एसडीएम भी पैसा नहीं दे सकते। हम सरकार से इस बारे मे कई बार बात कर चुके है।


उधर, धरने पर बैठे ग्रामीणों का कहना है कि वे तब तक नहीं हटेंगे, जब तक उन्हें मुआवजा नहीं मिल जाता। उन्होंने सरकार से अपील की कि इस मामले का जल्द से जल्द संज्ञान में लिया जाए, ताकि उन्हें अपने हक से वंचित न रहना पड़े।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। क्या ग्रामीणों को जल्द ही उनका मुआवजा मिलेगा या फिर उन्हें और लंबा संघर्ष करना पड़ेगा? इसका जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा। फिलहाल, ग्रामीणों का आंदोलन जारी है, और वे अपने हक के लिए मजबूती से डटे हुए हैं।

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