राइट न्यूज हिमाचल
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के दूरस्थ गांव जासवी से ताल्लुक रखने वाले युवा कबड्डी खिलाड़ी अनिल जस्टा ने हिमाचल का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) के 12वें सीजन की नीलामी में मशहूर टीम यू मुंबा ने हिमाचल के सिरमौर जिला के इस बेटे पर धनवर्षा कर दी है। यू मुंबा ने अनिल पर 78 लाख रुपए की रिकॉर्ड बोली लगाकर उन्हें अपनी टीम का हिस्सा बनाया है।अनिल के इस चयन से प्रदेश की कबड्डी को राष्ट्रीय मंच पर एक नई दिशा और पहचान मिली है।
वहीं अनिल जस्टा की यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि हिमाचल प्रदेश की मिट्टी में छिपी खेल प्रतिभा का एक चमकदार प्रमाण भी है। गांव की गलियों में शुरू हुआ अनिल जस्टा का यह सफर अब प्रोफेशनल कबड्डी के सबसे बड़े मंच तक पहुंच गया है।अनिल जस्टा की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। उन्होंने अपने कबड्डी करियर की शुरुआत सिरमौर जिले की गिरिपार घाटी के छोटे से गांव जासवी की धूलभरी गलियों से की थी। सीमित संसाधनों और सुविधाओं के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। बचपन से ही कबड्डी के प्रति रुचि रखने वाले अनिल ने कठिन परिश्रम, अनुशासन और जुनून के बल पर खुद को एक बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में साबित किया है।कठिन संघर्ष से लेकर प्रो कबड्डी तक का सफरअनिल की पारिवारिक पृष्ठभूमि साधारण रही है।

उनके पिता मोहन सिंह एक किसान हैं और उनके दो भाई भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं। उनके दादा बंसी राम की आंखें उस समय भर आईं, जब उन्हें अनिल के यू मुंबा की टीम में चयनित होने की खबर मिली। यह पल पूरे परिवार के लिए अत्यंत भावुक और गौरवपूर्ण रहा।अनिल ने अपने प्रदर्शन से कई बार राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा है। हाल ही में हुए एक राष्ट्रीय मुकाबले में उनकी सुपर रेड ने न केवल टीम को जीत दिलाई, बल्कि दर्शकों का दिल भी जीत लिया।
इसी प्रदर्शन ने उन्हें प्रो कबड्डी लीग की टीमों की नजरों में ला खड़ा किया। हरिद्वार में आयोजित युवा सीरीज में भी उन्होंने शानदार खेल दिखाया, जिससे उनकी प्रतिभा और निखरकर सामने आई।अनिल जस्टा की खासियत उनकी तेज रेडिंग तकनीक, दबाव में खेलने की क्षमता, और मैच के अंतिम क्षणों में निर्णायक बनना है। यही कारण है कि यू मुंबा जैसी बड़ी टीम ने उन पर भरोसा जताया और उन्हें इतनी बड़ी बोली में खरीदा। उनकी फिटनेस और खेल के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें अन्य खिलाड़ियों से अलग करती है।
अनिल ने इस सफलता का श्रेय शिमला के कोच सुरेंद्र को दिया है, जिन्होंने उन्हें सही मार्गदर्शन और प्रशिक्षण दिया। सोशल मीडिया पर अनिल को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। ग्रामीणों, खेल प्रेमियों और पूर्व खिलाड़ियों ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अनिल ने यह दिखा दिया है कि इरादे मजबूत हों तो पहाड़ जैसी चुनौतियां भी छोटी लगती हैं।