प्रदेश में बंदरों को मारने पर प्रतिबंध, शिमला

प्रदेश में बंदरों को मारने पर प्रतिबंध, शिमला

राईट न्यूज / शिमला

प्रदेश में अब बंदरों को मारने पर प्रतिबंध लग गया है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य की 91 तहसील व उप तहसीलों में बीते अप्रैल महीने तक ही इन्हें मारने की इजाजत दे रखी थी। लिहाजा अब यदि कोई बंदरों को मारता है तो वह अपराध माना जाएगा। वहीं राज्य के वन विभाग ने सभी फील्ड अधिकारियों से पूछा हैकि यदि किसी ओर क्षेत्र में बंदरों को वर्मिन घोषित करवाना है तो जल्द मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा जाए। इसके बाद वन विभाग के माध्यम से केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसमें बंदरों को दोबारा एक साल के लिए वर्मिन (पीड़क जंतु) घोषित करने का आग्रह किया जाएगा।

प्रदेश में बंदर हर साल करोड़ों रुपए की नकदी फसलें तबाह कर जाते हैं। इन्होंने किसानों का जीना दूभर कर रखा है। शहरी क्षेत्रों में भी लोगों के लिए बंदर परेशानी का सबब बने हुए हैं। शिमला में तो कई बार बंदर लोगों की जेबें भी तलाश करते देखे गए हैं। यही वजह है कि राज्य सरकार बीते कुछ सालों से केंद्र से बंदरों को वर्मिन घोषित करवाती रही है, ताकि फसलों को नुक्सान पहुंचाने वाले बंदरों को किसान मार सकें।

केंद्र भले ही कई सालों से बंदरों को मारने की इजाजत देता आया है, लेकिन सच्चाई यह है कि प्रदेश में अधिकतर लोग बंदरों को नहीं मार रहे हैं। इसके पीछे कारण चाहे धार्मिक हो या फिर इन्हें मारने के लिए असले की कमी हो। किसान सभा सालों से मांग करती आई है कि वन विभाग अपने प्रशिक्षित शूटरों से बंदरों को शूट करवाएया फिर किसानों को कारतूस उपलब्ध कराए। वहीं वन विभाग ने बंदरों को मारने पर ईनाम की घोषणा कर रखी है।

बंदरों की तादाद में ऐसे आई कमी अच्छी बात यह है कि राज्य में बंदरों की तादाद में लगभग 33.5 फीसदी की कमी आई है। यह आंकड़े राज्य वन विभाग के सर्वेक्षण में सामने आए हैं। माना जा रहा है कि वन विभाग द्वारा बंदरों की नसबंदी जैसे कदमों के परिणामस्वरूप इनकी संख्या कम हुई है। प्रदेश में इस समय 1 लाख 36 हजार 443 बंदर हैं, जबकि साल 2015 में 2,67,000 बंदर थे। इनका घनत्व हॉटस्पॉट भी 263 से घटकर 226 रह गया है।

वन्य प्राणी विभाग पी.सी.सी.एफ अर्चना शर्मा का कहना है कि शिमला में एक जगह बंदरों को वर्मिन घोषित करने का आग्रह वन विभाग को मिला है। इसे देखते हुए फील्ड के अन्य अधिकारियों से भी इस तरह के प्रस्ताव मांग रखे हैं।इसके बाद केंद्र को प्रस्ताव भेजकर बंदरों को वर्मिन घोषित करवाने का आग्रह किया जाएगा।

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