BJP की हार ने खराब किया नड्डा का रिपोर्ट कार्ड: उनके नेतृत्व पर उठने लगे सवाल
BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के अपने घर यानी हिमाचल के चुनाव में मिली शिकस्त ने उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए है। गुजरात से पहले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में BJP की सरकार रिपीट कराने वाले नड्डा पहाड़ पर सत्ता परिवर्तन का रिवाज नहीं बदल पाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार में पूरी तरह झोंकने के बावजूद नड्डा हिमाचल को मोदी की झोली में नहीं डाल पाए, जबकि मोदी ने बार-बार जनसभाओं में अपील की थी कि कमल के फूल पर पड़ा हरेक वोट दिल्ली में उन्हें मजबूत करेगा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते पार्टी हाईकमान ने टिकट आवंटन से लेकर चुनाव की प्लानिंग तक के लिए नड्डा को फ्री-हेंड दिया था। फिर भी BJP की हार हुई है, जबकि केंद्र ने चुनावी साल में हिमाचल को बल्क ड्रग फॉर्मा पार्क, AIIMS, वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी सौगात दी है।
BJP की हार की सबसे बड़ी वजह 10 सिटिंग MLA के टिकट काटना और 21 बागियों का चुनाव मैदान में उतरना माना जा रहा है। PM नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्री व नेता बागियों को नहीं मना पाए। नतीजा यह हुआ कि भाजपा को चुनाव में हार झेलनी पड़ी। इससे नड्डा का रिपोर्ट कार्ड खराब हुआ है।
नड्डा के लिए राहत की बात यह है कि वह अपने गृह जिला की 4 में से 3 सीटें जिताने में कामयाब रहे हैं। बिलासपुर सदर और श्रीनैना देवी सीट पर BJP की जीत जरूर हुई है। मगर जीत का मार्जिन 500 से भी कम वोटो का है। घुमारवीं सीट पर नड्डा के एग्रेसिव कैपेंन के बावजूद जयराम सरकार में मंत्री राजेंद्र गर्ग चुनाव नहीं जीत पाए।
नड्डा ने बिलासपुर की चारों सीटों पर खुद डोर-टू-डोर कैपेंन किया। फिर भी नड्डा घुमारवी सीट को नहीं बचा पाए। यहां से जयराम सरकार में मंत्री राजेंद्र गर्ग चुनाव हारे हैं।