राइट न्यूज हिमाचल शिमला प्रदेश हमीरपुर-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण में अनियमितताओं और क्षति को लेकर हिमाचल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने से पहले याचिकाकर्ताओं से प्रभावित सड़क और क्षेत्रों का गूगल साइट मैप पेश करने को कहा है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत से गूगल साइट मैप रिकॉर्ड पर रखने के लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर दिया। इस गूगल मैप में जिला हमीरपुर और मंडी के प्रभावित गांवों, सीमाओं और सड़क की लंबाई का पता आसानी से चलेगा।
यह मुद्दा राजमार्ग के चौड़ीकरण में हो रही अनियमितताओं से संबंधित है। याचिका में आरोप लगाए गए हैं कि सड़क का चौड़ीकरण करते वक्त अवैज्ञानिक तरीके से पहाड़ों की 90 डिग्री की कटिंग की जा रही है। इससे सड़कों के साथ लगते पहाड़ों पर बने मकानों को नुकसान पहुंच रहा है। ठेकेदार सड़क के मलबे को हर कहीं फेंक रहे है, जिसकी वजह से अत्यधिक बारिश के दौरान लगती जमीनों का नुकसान हो रहा है। अगली सुनवाई 14 अक्तूबर को होगी। याचिका में बताया गया है कि सड़क का चौड़ीकरण करते समय कंपनियां ढलानों की कटाई, जल निकासी प्रबंधन, मलबा निपटान और पहाड़ी क्षेत्रों में ढलान स्थिरीकरण के लिए जैव-इंजीनियरिंग उपायों का उपयोग करने में नाकाम रही हैं।
याचिका में अदालत से जनता को भूस्खलन से बचाने का आग्रह किया है। अवैज्ञानिक विस्फोट और मानव जीवन को खतरे की कई रिपोर्टों के बावजूद केंद्रीय मंत्रालय ने कार्रवाई नहीं की। इसके बजाय इन कंपनियों को धनराशि जारी जारी रखी और काम को बेरोकटोक चलने दिया। गैसियां/सत्यार खड्ड (पारचू पुल) पर भारी मात्रा में अवैध रूप से मलबा डाला है और वहां एक मिट्टी का बांध बना दिया है। इस सड़क का निर्माण कार्य गावर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड और सूर्य कंस्ट्रक्शन कंपनी सहित बीआरएम इंफ्रा प्राइवेट को सौंपा है। हाईकोर्ट में इसे लेकर हिमाचल किसान सभा और अन्य ने एक जनहित याचिका दायर की है।

