हिमाचल: इंतजार खत्म… ढाई साल में बनेगा उत्तर भारत का सबसे लंबा पुल, 21 किमी घटेगा सफर

हिमाचल: इंतजार खत्म… ढाई साल में बनेगा उत्तर भारत का सबसे लंबा पुल, 21 किमी घटेगा सफर

उत्तर भारत का सबसे लंबा 860 मीटर केबल स्टेड और वायाडक्ट पुल गोबिंद सागर झील पर आकार लेने को तैयार है। अब न मोटरबोट का सहारा, न लंबा चक्कर। ढाई साल बाद 860 मीटर लंबा पुल गोबिंद सागर झील पर खड़ा होगा। लठियाणी से ऊना का रास्ता 21 किमी कम हो जाएगा। 40 मिनट सफर तो घटेगा ही पैसों की भी बचत होगी। विद्यार्थियों के लिए ऊना और हमीरपुर के कॉलेजों तक पहुंचना आसान होगा। बीमार लोगों को इलाज के लिए मोटरबोट या लंबा रास्ता नहीं पकड़ना पड़ेगा। हालांकि, इस राहत के लिए करीब 4068 पेड़ गिरेंगे। करीब छह पंचायतें पुल से जुड़ने से चूक जाएंगी। इन दिनों पुल के लिए काटे जाने वाले पेड़ों को नंबरिंग की जा रही है।

कंपनी कैंप ऑफिस बनाने में जुटी
वन विभाग के करीब 380 जबकि अन्य पेड़ निजी भूमि से काटे जाने हैं। मंत्रालय से टेंडर अवार्ड होने के बाद एसपीएस कंपनी कैंप ऑफिस बनाने में जुट गई है। ऊना जिले में गोबिंद सागर झील पर लठियाणी से बिहडू तक प्रस्तावित पुल के निर्माण से लठियाणी के आरपार के 14 गांवों का ऊना पहुंचने के लिए 21 किलोमीटर सफर कम हो जाएगा।  हमीरपुर-ऊना वाया बड़सर की दूरी 80 से घटकर 59 किमी रह जाएगी। गोविंद सागर किनारे बसी दो पंचायतों के इन 14 गांधों की थानाकलां और बंगाणा होकर ऊना नहीं पहुंचना पड़ेगा। लोग बिहद् होकर सीधा ऊना पहुंच सकेंगे। परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से निर्माण किया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया लगभग पूरी है।

कुल लागत 897 करोड़ प्रस्तावित
कुल लागत 897 करोड़ प्रस्तावित है। प्रोजेक्ट में 480 मीटर लंबा केबल स्टेड और 380 मीटर वायडक्ट पुल बनेगा। पुल के दोनों छोर की ओर कुल आठ किमी लंबा फोरलेन भी बनेगा। फोरलेन पर 50 मीटर का माइनर पुल और 150 मीटर एक वायडक्ट पुल बनेगा। प्रोजेक्ट में दो व्हीकल ओबर पास और दो व्हीकल अंडर पास का निर्माण भी प्रस्तावित है। कुल मिलाकर 11 स्ट्रक्चर बनाएं जाएंगे। लठियाणी की ओर 3.353 किमी और बिहडू की ओर 4.803 किमी लंबा फोरलेन भी प्रस्तावित है। अभी मोटरबोट का लेना पड़ता है सहारा यह प्रोजेक्ट 14 गांवों से होकर गुजरेगा। अभी लठियाणी से बिहडू जाने वो लिए लोगों को बंगाणा होकर अतिरिक्त सफर करना पड़ता है या मोटरबोट का सहारा लेना पड़ता है। यह पुल गोबिंद सागर के दोनों छोर पर पड़ने वाले अलमाना से बदघर को आपस में जोड़ेगा।

क्या कहते हैं लोग
निर्माण के लिए 15 मरले जमीन का अधिग्रहण किया गया है। प्रोजेक्ट के दीनों ओर 12 मरले जमीन पड़ती है। यह अब किसी काम की नहीं बची है। जमीन अधिग्रहण इस तरह से होना चाहिए कि बाकी बची जमीन का नुकसान न हो। -कृष्णपाल, प्रभावित, लठियाणी

पुल के बनने से खामी सुविधा मिलेगी, लेकिन हमारा गांव इस पुल की दाई ओर स्थित है। महज 50 मीटर की दूरी के चलते करीब यह पंचायतें इससे जुड़ने से वंचित रह रही हैं। सरकार इन पंचायतों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ने के लिए पुल निर्माण की मंजूरी दे। -जोगिंद्र सिंह, गांन चोह

मत्स्य कारोबार के साथ यहां पर पर्यटन की भी संभावना है। इस आधुनिक पुल के बनने से यहां पर पर्यटन की संभावनाओं को विकसित किया जा सकता है। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। -सुशील ठाकुर, मास्य कारोचारी, लतियाणी

पुल का निर्माण विकास की दिशा में मील का पत्थर साचित होगा, लेकिन जितने भी पेड़ चाहिए। प्रकृति पहले ही हमसे नाराज है। कटने वाले पेड़ों की प्रक्रिया को देखते हुए एक कमेटी का होना भी बहुत जरूरी है, ताकि यह वस्तु स्थिति की रिपोर्ट पेश कर सके।– मनोज कुमार कौशल, पर्यावरण प्रेमी, कोटलाकलां

एसपीएस कंपनी को टेंडर अवार्ड हुआ है। 30 माह के भीतर कंपनी इस प्रोजेक्ट को पूरा करेगी। इस प्रोजेक्ट के बनने से हमीरपुर और ऊना की दूरी कम होगी। -सुशील ठाकुर, साइट इंजीनियर, पीआईयू यूनिट सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय

छह पंचायतों को जोड़े जाने की दरकार
 इस केवल स्टेड बिज से लठियाणी के अलयाना और बिहाडू क्षेत्र के बगधार गांव को जोड़ा जाएगा। गोबिंद सागर किनारे स्थित बड़वार, टीहरा, छपरोह, भानाकलां, बल्ह और सनात पंचायतें इससे नहीं जुड़ेंगी। महज 50 मीटर की दूरी के चलते इन पंचायतों के दर्जनों गांवों को इससे जोड़े जाने की दरकार है।

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