हिमाचल को केंद्रीय बजट में मिली निराशा- ना सेब शुल्क बढ़ा, ना मिला स्पेशल पैकेज

हिमाचल को केंद्रीय बजट में मिली निराशा- ना सेब शुल्क बढ़ा, ना मिला स्पेशल पैकेज

राइट न्यूज हिमाचल

केंद्रीय आम बजट 2025-26 में हिमाचल प्रदेश के लिए किसी विशेष घोषणा का अभाव रहा। बता दें कि प्रदेश के बागवानों को सेब शुल्क बढ़ने की आस थी। मगर ऐसा कुछ भी बजट में देखने को नहीं मिला है।वहीं, कुछ नई योजनाओं और टैक्स स्लैब में बदलाव से प्रदेशवासियों को राहत मिल सकती है। इस बजट में हिमाचल के करदाताओं के लिए राहत की कुछ अहम घोषणाएं की गई हैं, जबकि अन्य कई आवश्यक मुद्दों को नजरअंदाज किया गया है।

नए टैक्स स्लैब में बदलाव के तहत, अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा। वेतनभोगियों के लिए यह सीमा बढ़ाकर 12.75 लाख रुपये तक कर दी गई है। इस कदम से हिमाचल के लगभग 3 लाख करदाताओं को सीधी राहत मिल सकती है। प्रदेश में कुल 6.5 लाख करदाता हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में लोग इस नए स्लैब से लाभान्वित होंगे।केंद्रीय बजट में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत सस्ता ऋण बढ़ाने की घोषणा की गई है।

अब किसानों को तीन लाख रुपये के बजाय पांच लाख रुपये तक सस्ता ऋण मिल सकेगा। हिमाचल प्रदेश में किसान और बागवानी कार्य में संलग्न लाखों लोग इस योजना का फायदा उठा सकेंगे, जो उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मददगार साबित हो सकती है।बजट में देश भर के 50 प्रमुख पर्यटन स्थलों के विकास की घोषणा की गई है, जिसमें प्रदेश के बौद्ध स्थलों को भी शामिल किया जा सकता है।

लाहौल-स्पीति में स्थित कीह गोंपा, धर्मशाला का मैक्लोडगंज और अन्य प्रमुख बौद्ध स्थल इस योजना से लाभान्वित हो सकते हैं। इसके अलावा, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं और मुद्रालोन योजनाओं का भी उल्लेख किया गया है, जिससे हिमाचल में होम स्टे उद्योग को भी बढ़ावा मिल सकता है।प्रदेश के सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने केंद्रीय बजट पर निराशा जताते हुए कहा कि यह बजट असमानता को दर्शाता है।

उनका कहना था कि बजट का बड़ा हिस्सा बिहार पर केंद्रित किया गया है और हिमाचल जैसे छोटे राज्य के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। सुक्खू ने कहा कि राज्य के लिए जरूरी कदम जैसे सेब के आयात शुल्क में वृद्धि, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए राहत पैकेज और रेल विस्तार योजनाओं को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।सीएम सुक्खू ने यह भी कहा कि राज्य को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है, खासकर जीएसटी क्षतिपूर्ति के समाप्त होने के बाद। उन्होंने केंद्र से विशेष वित्तीय पैकेज की मांग की, जिससे राज्य के वित्तीय घाटे को कम किया जा सके और प्रदेश की राजकोषीय स्थिरता बनाए रखी जा सके।

उनका मानना है कि इस बजट में गरीब वर्ग और कृषि क्षेत्र की समस्याओं को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है।बजट में यह घोषणा की गई है कि देश के सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर सेंटर स्थापित किए जाएंगे, जिससे हिमाचल के लोगों को भी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार मिल सकता है। इसके अलावा, कैंसर की दवाओं के लिए मूल्य नियंत्रण की घोषणा से राज्य के रोगियों को राहत मिल सकती है।

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