हिमाचल: दिव्यांग पति, जर्जर घर और अनदेखी की मार, दर- दर की ठोकरें खाने को मजबूर है ‘आशा’ का परिवार

हिमाचल: दिव्यांग पति, जर्जर घर और अनदेखी की मार, दर- दर की ठोकरें खाने को मजबूर है ‘आशा’ का परिवार

राइट न्यूज हिमाचल

विधानसभा पालमपुर के अंतगर्त आने वाली पंचायत बंडविहार के वार्ड नंबर-5 में आशा का परिवार गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। आशा के पति घनश्याम 24 वर्ष पहले एक हादसे का शिकार हो गए थे, वहीं बीमारी की वजह से ग्रस्त होकर चलने-फिरने में असमर्थ हो गए। वह 80 प्रतिशत दिव्यांग हैं।

परिवार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर थक चुका है, लेकिन आज तक दिव्यांग पैंशन का लाभ नहीं मिला है। आशा ने आंखों में आंसू भरते हुए कहा कि पहले परिवार की स्थिति ठीक थी, लेकिन पति की इस हालत के बाद सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। 2 बच्चों के भविष्य की चिंता और घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए वह लगभग 9 किलोमीटर दूर लोगों के घरों में बर्तन धोने का काम करने जाती हैं।

अब उनकी उम्र और स्वास्थ्य दोनों ही जवाब देने लगे हैं। उनका घर भी जर्जर हालत में पहुंच गया है। वहीं पंचायत ने भी परिवार को अनदेखा किया है। परिवार को सरकार द्वारा चलाई गई योजना के तहत पंचायत के माध्यम से शौचायल का लाभ तक हीं दिलवाया गया। कुछ वर्ष पहले वहां के स्थानीय विधायक ने भी परिवार से मिलकर आश्वासन दिया कि घर बनवाने में मदद करेंगे तथा पंचायत या अन्य विभाग से आवास योजना का लाभ पहुंचाएंगे, लेकिन वह भी पूरा नहीं हुआ।

हैरानी की बात यह भी है कि प्रधानमंत्री अवास योजना के तहत प्रदेश को हजारों मकान मिले, लेकिन आज तक इस परिवार का सर्वे तक नहीं हुआ है। अब परिवार को दो वक्त की रोटी जुटाने में भी परेशानी हो रही है।

वहीं आशा की बेटी पूजा की शादी जुलाई माह के अंत में तय हुई है, लेकिन परिवार के पास शादी का खर्च उठाने के लिए साधन नहीं हैं। उक्त परिवार ने समाजसेवियों और प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।

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