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महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह एक विशेष धार्मिक आयोजन किया जा रहा है। आज कई जगहों पर भगवान शिव की बारात निकलेगी जिसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह होगा। महाशिवरात्रि का पर्व हर साल धूमधाम से मनाया जाता है, वहीं मंडी की शिवरात्रि की अपनी ही धूम है।
मगर ये मंडी शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है- चलिए जानिएआज देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में इसे विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, जिसे “छोटी काशी” के नाम से भी जाना जाता है। 1527 ई. में मंडी शहर की स्थापना के बाद से यहां शिवरात्रि महोत्सव की परंपरा चली आ रही है, जब तत्कालीन राजा अजबर सेन ने इस शहर की नींव रखी थी।
मंडी अपने प्राचीन मंदिरों और देव संस्कृति के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है।मंडी के महाशिवरात्रि महोत्सव का गहरा संबंध राज परिवार से है। महोत्सव की शुरुआत तब तक नहीं होती, जब तक भगवान माधव राय की पालकी नगर में न निकाली जाए। राज माधव राय को भगवान श्री कृष्ण का रूप माना जाता है। 18वीं शताब्दी में राजा सूरज सेन के 18 पुत्रों की मृत्यु के बाद, उन्होंने अपना सारा राजपाठ भगवान माधव राय को सौंप दिया था, और तब से यह परंपरा चली आ रही है।
महोत्सव में शिरकत करने वाले सभी देवी-देवता पहले राज माधव राय के पास अपनी हाजिरी भरते हैं।शिवरात्रि महोत्सव के दौरान शैव, वैष्णव और लोक देवताओं का मिलन होता है। शैव का प्रतिनिधित्व भगवान शिव, वैष्णव का भगवान श्री कृष्ण और लोक देवता कमरूनाग करते हैं। इन देवताओं के अनुमति मिलने के बाद ही महोत्सव की शुरुआत होती है।
सर्व देवता समिति के प्रधान शिवपाल शर्मा ने बताया कि 25 फरवरी से देवी-देवताओं का आगमन शुरू हो चुका है, और 26 फरवरी तक अधिकांश देवी-देवता मंडी में पहुंच जाएंगे।रियासत काल में शिवरात्रि महोत्सव की जिम्मेदारी राज परिवार के पास होती थी, लेकिन अब यह जिम्मेदारी जिला प्रशासन के हाथों में है।
आजादी के बाद सभी देशी रियासतों के विलय के साथ राजाओं का शासन समाप्त हो गया। वर्तमान में इस महोत्सव की देखरेख सर्व देवता समिति और जिला प्रशासन करते हैं, जिसमें 216 देवी-देवता पंजीकृत हैं और करीब 200 देवी-देवता इस महोत्सव में भाग लेते हैं।इस साल, अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव 27 फरवरी से 5 मार्च तक मनाया जाएगा।
27 फरवरी को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा इस महोत्सव का विधिवत शुभारंभ किया जाएगा। इस दिन पहली शाही जलेब यानी शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें जनपद के प्रमुख देवी-देवता शामिल होंगे। यह जलेब राज माधव राय मंदिर से शुरू होकर पड्डल मैदान तक जाएगी। इस महोत्सव के दौरान कुल तीन प्रमुख जलेब निकाली जाती हैं।
मध्य जलेब 2 मार्च को और अंतिम जलेब 5 मार्च को होगी, जिसमें राज्यपाल भी भाग लेंगे।मंडी में शिवरात्रि महोत्सव के दौरान सैकड़ों देवी-देवता इस महोत्सव में भाग लेते हैं। इसके अलावा गैर पंजीकृत देवी-देवता भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं, जिससे महोत्सव की शोभा और बढ़ जाती है।
इस दौरान छह सांस्कृतिक संध्याओं का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें हिमाचली, पंजाबी और लोक कलाकार अपनी गायकी से माहौल को और भव्य बनाएंगे। महोत्सव की शुरुआत से लेकर एक सप्ताह तक मंडी शहर में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का दौर जारी रहेगा।