Happy Birthday Bhagat Singh आज ही के दिन भगत सिंह ने लिया था जन्म 28 सितंबर 1907

Happy Birthday Bhagat Singh आज ही के दिन भगत सिंह ने लिया था जन्म 28 सितंबर 1907

28 सितंबर 1907 को जिला लायलपुर (अब फैसलाबाद, पाकिस्तान में) के गांव बावली में जन्मे शहीदे आजम भगत सिंह की आज 115वीं जयंती है। देश की आजादी के लिए लड़ते हुए 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी से लटका दिया था। इस बात को करीब 91 साल गुजर गए हैं, लेकिन भगत सिंह आज भी हमारे जेहन में जिंदा हैं। उनका वो घर भी मौजूद है, जहां उनका जन्म हुआ था और जहां उन्होंने अपना बचपन बिताया था। ये मकान अब पाकिस्तान में है।

28 सितंबर, 1907 को फैसलाबाद जिले के जरांवाला तहसील स्थित बंगा गांव में जन्मे भगत सिंह के पूर्वज महाराजा रणजीत सिंह की सेना में थे। उनके पिता और चाचा गदर पार्टी के सदस्य थे। यह पार्टी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन चला रही थी। चाचा अजीत सिंह ने अंग्रेजो के खिलाफ़ दूसरा सब से लंबे समय तक चलने वाला किसान आंदोलन शुरू किया था जो की 9 महीने चला था। लेकिन वर्ष 2020 मे उस आन्दोलन का रिकॉर्ड मोदी सरकार के समय टूटा दिल्ली के बोर्ड्स पर किसान आन्दोलन 12 महीने तक चला। दोनो ही आन्दोलनो मे सरकारो को झुकना पड़ा उस समय की ब्रिटिश सरकार थी वर्तमान की मोदी सरकार।

उस समय के आंदोलन का असर यह हुआ कि बचपन से ही भगत सिंह में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ गुस्सा भर गया। उन्होंने भी देश की आजादी के लिए क्रांति का रास्ता चुना।

उनकी जयंती पर पढ़ें 10 विचार

1. बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।

2. निष्‍ठुर आलोचना और स्‍वतंत्र विचार, ये दोनों क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।

3. राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में आजाद है।

4. प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्‍तों को अक्‍सर लोग पागल कहते हैं।

5. जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।

6. व्‍यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं।

7. निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।

8. ‘आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसी के अभ्यस्त हो जाते हैं। बदलाव के विचार से ही उनकी कंपकंपी छूटने लगती है। इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की दरकार है।’

9. ‘वे मुझे कत्ल कर सकते हैं, मेरे विचारों को नहीं। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं लेकिन मेरे जज्बे को नहीं।’

10. अगर बहरों को अपनी बात सुनानी है तो आवाज़ को जोरदार होना होगा. जब हमने बम फेंका तो हमारा उद्देश्य किसी को मारना नहीं था। हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था। अंग्रेजों को भारत छोड़ना और उसे आजाद करना चाहिए।’

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