राईट न्यूज / शिमला
प्रदेश में ठेकेदारों ने हड़ताल पर जाने का एलान किया है। सात फरवरी से प्रदेश में सभी सरकारी निर्माण कार्य बंद हो जाएंगे। जीएसटी की लंबित राशि का भुगतान न करने और डब्ल्यू फार्म के नियमों को सख्ती से लागू करने के विरोध में ठेकेदारों ने यह फैसला लिया है। अब कोई भी ठेकेदार सरकारी टेंडर में शामिल नहीं होगा। बर्फबारी से बंद सड़कों को बहाल करने के लिए मशीनरियां भी नहीं दी जाएंगी। प्रदेश और जिला कार्यकारिणी समिति की वर्चुअल बैठक में यह फैसला लिया गया है। हिमाचल ठेकेदार एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश कुमार बिज ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से वार्तालाप के बाद भी मामला नहीं सुलझाया गया है। ठेकेदार सरकार से माइनिंग के नियमों में संशोधन कर सरलीकरण की मांग कर रहे हैं। क्रेशर में डब्ल्यू फार्म देने की सीमा तय की गई है। ऐेसे में ठेकेदारों को यह फार्म नहीं मिल रहे हैं, जिससे लोक निर्माण और अन्य विभागों के पास करोड़ों की राशि फंस गई है।
ठेकेदार सरकारी भवनों के अलावा डंगों के काम कर चुके हैं। अब पैसे की बात आई तो ठेकेदारों से डब्ल्यू फार्म मांगे जा रहे हैं। ठेकेदार एक जुलाई 2017 से पहले के कार्यों पर पूरा रिफंड मांग रहे हैं, लेकिन अभी तक यह पैसा नहीं दिया गया है। ठेकेदारों का तर्क है कि उस समय सरकार में नया टैक्स ढांचा लागू नहीं था। बावजूद इसके पहले के आवंटित कार्यों पर भी रिफं ड नहीं मिल रहा है। बिज ने कहा कि दो बार जीएसटी देने पर ठेकेदारों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है। सरकार से कई बार इस मामले को उठाया गया लेकिन आश्वासन के सिवाय कोई भी राहत नहीं दी गई है। वहीं, लोक निर्माण विभाग की इंजीनियर इन चीफ अर्चना ठाकुर ने कहा कि इस मामले को सुलझाने के लिए कमेटी बनी हुई है। जल्द ही इसे सुलझा लिया जाएगा।
ये काम चल रहे प्रदेश में
प्रदेश में जो भी विकास कार्यों होते हैं, उनके लिए विभाग की ओर से टेंडर निकाले जाते हैं। इसमें सड़कों का निर्माण, अस्पताल, मिनी सचिवालय, सरकारी आवासों की मरम्मत, डंगों और नालियों का निर्माण, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, शिक्षा भवनों आदि विकास कार्य ठेकेदारों से करावाए जाते हैं। इन कार्यों को करने के लिए ठेकेदार शामिल होते हैं, जो ठेकेदार टेंडर में सबसे कम रेट भरता है उन्हें विभाग की ओर से उन्हें काम सौंपा जाता है।