राइट न्यूज हिमाचल
हिमाचल प्रदेश में अपराधिक गतिविधियों का आंकड़ा बढ़ता जा रहे हैं। पिछले कुछ समय से हिमाचल के कई लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं। शातिर कई तरह के तरीके अपनाकर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं और लोगों की जमा पूंजी पर हाथ साफ कर रहे हैं।ताजा मामला हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले से सामने आया है- जहां पर शातिरों ने एक महिला को ठगी का शिकार बनाया है। महिला के साथ ठगी प्रसव के पैसे खाते में डालने के नाम पर की गई है।
मामले की शिकायत पीड़िता के पति ने साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज करवाई है।पीड़िता की पहचान लता देवी के रूप में हुई है- जो कि तेलका की ग्राम पंचायत मौड़ा की रहने वाली है। पीड़िता के पति अजय कुमार ने बताया कि हाल ही में उसकी पत्नी का प्रसव हुआ है। ऐसे में बीते दिन उसकी पत्नी के नंबर पर एक फोन आया- जिसने खुद को महिला विकास अधिकारी बताया।उस महिला ने लता से कहा कि प्रसव के 3000 रुपए एसके खाते में डालने हैं।
जिसके लिए उसे लता का अकाउंट नंबर चाहिए होगा। लता को भी महिला की बातों में यकीन हो गया और उसने अपना अकाउंट नंबर उस महिला को दे दिया। इसके बाद महिला ने लता के खाते में एक हजार रुपए डाल दिए।इसके बाद महिला ने फिर लता को फोन किया और कहा कि अभी बाकि के दो हजार रुपए तभी मिलेंगी- जब वो लिंक पर क्लिक करके OTP शेयर करेगी।
महिला ने लता से कहा कि ये इस बात की पुष्टि करेगा कि पैसे सही महिला के खाते में जा रहे हैं। लता ने भी उसकी बातों में आकर भेजे गए लिंक पर क्लिक कर दिया और महिला को OTP बता दिया।अजय कुमार ने बताया कि OTP शेयर करते ही लता के खाते से 70 हजार रुपए की राशि निकाल ली गई। लता ने जब फोन में बैंक का मैसेज देखा तो लता के होश उड़ गए।
लता ने तुरंत महिला को फोन किया, लेकिन उसका नंबर बंद आ रहा था। ऐसे में लता को एहसास हुआ कि वो ठगी का शिकार हो चुकी है। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल है।आपको बता दें कि हिमाचल सरकार की बेटी है अनमोल योजना के तहत बेटी का जन्म होने पर मां को दस हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है।
जबकि, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत पहले बच्चे के जन्म पर 5,000 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है। ऐसे में शातिर इसी बात का फायदा उठाकर कई महिलाओं को ठगी का शिकार बनाते हैं।उल्लेखनीय है कि, हिमाचल प्रदेश जैसे शांतिप्रिय और पहाड़ी राज्य में भी साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आधुनिक तकनीक और डिजिटल लेन-देन की बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी भी एक गंभीर समस्या बन चुकी है।
साइबर अपराधी नए-नए तरीकों से लोगों को ठगने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे आम नागरिकों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।हिमाचल पुलिस का कहना है कि प्रदेश में साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए हमें जागरूक रहने की जरूरत है। डिजिटल युग में सुरक्षा और सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है। छोटी-छोटी सावधानियों को अपनाकर हम साइबर ठगी से बच सकते हैं और अपराधियों को कानून के शिकंजे में ला सकते हैं।
साइबर ठगी के मुख्य कारणडिजिटल लेन-देन की बढ़ती प्रवृत्तितकनीकी जानकारी की कमीलुभावने ऑफर और फेक कॉल्सनकली वेबसाइट और ईमेलसोशल मीडिया का दुरुपयोगअसावधानी और लालचOTP और पासवर्ड किसी के साथ साझा न करें- बैंक या कोई भी संस्था आपसे फोन पर पासवर्ड या ओटीपी नहीं मांगती है। किसी अनजान व्यक्ति के कहने पर अपनी गोपनीय जानकारी साझा न करें।
फर्जी कॉल्स और मैसेज से सतर्क रहें- अगर कोई इनाम जीतने, नौकरी देने या सरकारी सहायता का झांसा दे तो पहले जांच-पड़ताल करें। बैंक से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या शाखा से संपर्क करें।सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर और एंटीवायरस का उपयोग करें- मोबाइल और कंप्यूटर में अच्छे सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें और संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें।
सोशल मीडिया पर सतर्कता बरतें- अपनी निजी जानकारी सोशल मीडिया पर सार्वजनिक न करें। किसी अज्ञात व्यक्ति की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने से पहले पूरी जांच करें।फिशिंग वेबसाइट से बचें- किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उसकी सत्यता जांच लें। नकली वेबसाइट्स के जरिए ठगी के कई मामले सामने आए हैं।शिकायत दर्ज कराएं- अगर साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं तो तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम हेल्पलाइन (टोल-फ्री नंबर 1930) पर शिकायत करें।