200 साल पुराने ऐतिहासिक नौण की सुरक्षा दीवार गिरी, मकानों पर भी मंडराया खतरा

200 साल पुराने ऐतिहासिक नौण की सुरक्षा दीवार गिरी, मकानों पर भी मंडराया खतरा

राइट न्यूज हिमाचल/बिलासपुर

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित झंडूता क्षेत्र के ठाकुरद्वारा नरसिंह मंदिर के पास मौजूद लगभग 200 साल पुराना ऐतिहासिक ‘नौण’ (बावड़ी) गंभीर खतरे में है। रानी नागर देई द्वारा निर्मित यह ऐतिहासिक धरोहर हाल ही में हुई भारी बारिश की भेंट चढ़ गई है, जिससे इसकी सड़क की ओर की सुरक्षा दीवार पूरी तरह ढहकर नौण के भीतर गिर गई है। इस घटना ने न केवल इस प्राचीन संरचना को भारी क्षति पहुंचाई है, बल्कि आसपास के आवासीय भवनों के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न कर दिया है।

स्थानीय लोगों की चिंता और प्रशासन से अपीलस्थानीय निवासी रमेश राजपूत ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह नौण हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण और लगभग 200 वर्ष पुराना हिस्सा है। सड़क के किनारे की दीवार भारी बारिश के कारण टूटकर नौण में जा गिरी है। इसका सीधा परिणाम यह हुआ है कि सड़क का सारा पानी सीधे नौण के मध्य में प्रवेश कर रहा है, जिससे इसकी ऐतिहासिक संरचना लगातार कमजोर हो रही है।

दुखद है कि इसके कारण नौण के ठीक पास स्थित एक मकान भी खतरे की जद में आ गया है। रमेश राजपूत ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया कि मौके पर आकर नौण का गहन निरीक्षण करें और इसके पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराएं। इस अनमोल धरोहर को बचाना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।स्थानीय लाेगाें का आरोप है कि इस दुर्दशा का मुख्य कारण सड़क निर्माण के दौरान उचित मानकों का पालन न करना है। ग्रामीणों के अनुसार सड़क निर्माण में बरती गई लापरवाही के कारण बारिश का पानी सीधे नौण की ओर प्रवाहित हो रहा है।

इसके अतिरिक्त गांव वांडा से सड़क तक आने वाली जल निकासी नाली की नियमित सफाई न होने के कारण भी गंदा पानी लगातार नौण में घुस रहा है। यह दूषित पानी नौण की नींव और संरचना को धीरे-धीरे कमजोर कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप यह दीवार ढहने की घटना हुई है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि मानसून के दौरान जलभराव और नाली के पानी का अनियंत्रित बहाव नौण और उसके समीप के मकानों के लिए और भी बड़ा खतरा पैदा करेगा।

इस ऐतिहासिक नौण का महत्व केवल स्थानीय निवासियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीक है। यह रानी नागर देई की विरासत का जीवंत प्रमाण है और स्थानीय इतिहास एवं संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। ऐसे में इस ऐतिहासिक संरचना का संरक्षण न केवल इसकी प्राचीनता को बचाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखेगा। प्रशासन और स्थानीय समुदाय के सहयोग से ही इस नौण को पुनर्जीवित किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *