Himachal: 11 वर्षीय बच्ची की दुर्लभ बीमारी का हुआ ऑप्रेशन, फेफड़ों से निकाली 12 सैंटीमीटर…

Himachal: 11 वर्षीय बच्ची की दुर्लभ बीमारी का हुआ ऑप्रेशन, फेफड़ों से निकाली 12 सैंटीमीटर…

राइट न्यूज हिमाचल/बिलासपुर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर ने एक बार फिर चिकित्सा क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता का परिचय देते हुए 2 जटिल और दुर्लभ बाल चिकित्सा मामलों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। यह संस्थान में बाल शल्य चिकित्सा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।पहले मामले में जिला कुल्लू की रहने वाली 11 वर्षीय बच्ची को सांस लेने में तकलीफ, बुखार और फेफड़ों में गांठ की समस्या के चलते एम्स बिलासपुर लाया गया। जांच में सामने आया कि बच्ची के फेफड़े में हाइडेटिड सिस्ट मौजूद थी, जोकि बच्चों में एक अत्यंत दुर्लभ बीमारी है।

एम्स के सहायक प्रोफेसर डॉ. संदीप सिंह सेन और जूनियर रेजिडेंट डॉ. अभिषेक पाल ने वीडियो असिस्टेड थोरोस्कोपिक सर्जरी तकनीक के माध्यम से इस सिस्ट को सफलतापूर्वक हटाया। ऑप्रेशन के दौरान बच्ची के फेफड़े में ब्रोंको-प्ल्यूरल फिस्टुला बनने से ऑक्सीजन स्तर प्रभावित हुआ, लेकिन एनेस्थीसिया टीम की तत्परता से दोहरी वेंटिलेशन प्रणाली के जरिये स्थिति को संभाल लिया गया और ऑपरेशन सफल रहा।दूसरे मामले में 7 माह के एक शिशु को बार-बार उल्टी और सांस लेने में परेशानी के बाद एम्स लाया गया।

जांच में पाया गया कि शिशु जन्मजात डायाफ्रामेटिक हर्निया से पीड़ित है, जिससे उसकी आंते ऊपर की ओर जाकर फेफड़ों को दबा रही थीं। जिस पर एम्स के चिकित्सकों डॉ. संदीप सिंह सेन और डॉ. अभिषेक पाल ने थोरेकोस्कोपिक तकनीक की मदद से इस दुर्लभ और जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। सर्जरी के बाद शिशु को एक दिन के लिए वेंटिलेशन पर रखा गया और फिर सामान्य आहार पर लाया गया। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ और स्थिर है।

एम्स बिलासपुर की कुलसचिव राकेश सिंह ने इन दोनों जटिल मामलों की सफलता पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि यह सफलता एम्स बिलासपुर की बहु विभागीय टीमवर्क, आधुनिक तकनीकी संसाधनों और चिकित्सकों की निष्ठा का परिणाम है। यहां समर्पण, विशेषज्ञता और संवेदनशीलता मिलकर असंभव को संभव कर रहे हैं। इसी भावना से संस्थान को निरंतर आगे बढ़ाया जा रहा है।

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