राईट न्यूज / शिमला
कोरोना के कारण पहले ही देश और प्रदेश में संकट के बादल छाए हुए हैं और अब मौसम की मार भी हिमाचल के बागवानों को झेलनी पड़ रही है। मौसम की मार ऐसी पड़ी की अप्रैल के माह में प्रदेश के कई हिस्सों में पहले ओलावृष्टि और फिर बर्फबारी का नजारा देखने को मिला। जिला शिमला में बुधवार को भारी ओलावृष्टि ने ऊपरी शिमला के बागवानों की कमर तोड़ दी है. दरअसल इन दिनों फ्लॉवरिंग यानी सेब के पेड़ों पर फूल खिलने का समय चल रहा है और आने वाली फसल के लिए ये समय बेहद महत्वपूर्ण है। मगर लगातार हो रही बारिश और उसके बाद ओलावृष्टि और बर्फबारी से फूल झड़ने और टहनियों के टूटने की समस्या से स्थानीय भगवानों को जूझना पड़ रहा है। इसके अलावा बर्फबारी के कारण तापमान में भारी गिरावट आई है जिसका असर भी आगामी फसल पर देखने को मिल सकता है। मौसम विभाग के अनुसार आगामी एक-दो दिनों में लगातार हल्की बारिश और ओलावृष्टि के होने को लेकर संभावना जताई है.
शिमला के जुब्बल, कोटखाई, चौपाल, रोहड़ू, रामपुर और नारकंडा समेत कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ओलावृष्टि और होने से बागवानों को नुकसान हुआ है। मौसम के बिगड़े मिजाज के बाद तापमान में भी भारी गिरावट देखने को मिली है. आज शुक्रवार को शिमला का न्यूनतम तापमान 4 से 5 डिग्री तक पहुंच गया है।जिससे अप्रैल के महीने में भी जिले में लोगों को कड़कड़ाती ठंड का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले दिनों 2 दिन की बारिश के बाद लाहौल घाटी में बर्फबारी देखने को मिली मगर अब शिमला जिले के ऊपरी इलाकों से भी आज भारी बर्फबारी की तस्वीरें सामने आई। भले ही यह बर्फ के नजारे कितनी सुंदर लगते हो मगर प्रदेश के भगवानों के लिए यह समय कठिन होता जा रहा है और क्षेत्र में ज्यादातर लोग ऐसे हैं जिनकी आय का मुख्य साधन सेब और बागवानी है ऐसे में पहले कोरोना और अब यह मौसम की मार आने वाले वक्त में सेब की आगामी फसल पर कितना प्रभाव डालती है यह तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो बर्फबारी जारी है और बारिश भी।