प्रदेश सरकार की ओर से वन विभाग की एकीकृत विकास परियोजना में अब तक 1928.93 लाख रुपये व्यय किए गए हैं और 1543.15 लाख रुपये विश्व बैंक को मुआवजे के लिए भेजे गए थे, जिसमें से 1540.77 लाख रुपये राज्य को वापस मिल चुके हैं। वन मंत्री राकेश पठानिया ने इसकी पुष्टि की है।
वन विभाग के लिए विश्व बैंक की ओर से 700 करोड़ रुपये की एकीकृत विकास परियोजना वित्त पोषित की जा रही हैं। इससे राज्य की विभिन्न ग्राम पंचायतों में जल प्रबंधन में सुधार और कृषि जल उत्पादन क्षमता में सुधार होगा। यह परियोजना प्रदेश के 10 जिलों शिमला, ऊना, कांगड़ा, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, मंडी, कुल्लू, सोलन और सिरमौर की 428 चयनित पंचायतों में क्रियान्वित की जा रही हैं।
वर्तमान में प्रदेश में लोक निर्माण, वानिकी, ऊर्जा, पर्यटन, कृषि, बागवानी, शहरी और कौशल उन्नयन क्षेत्रों में 9877.95 करोड़ रुपये की 14 बाह्य वित्त पोषित परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। इन परियोजनाओं में राज्य को भारत सरकार से 90:10 के अनुपात में ऋण प्राप्त हो रहे हैं। इन परियोजनाओं में एशियन विकास बैंक की लगभग 3723 करोड़ रुपये की चार परियोजनाएं, विश्व बैंक की 3062 करोड़ रुपये की पांच परियोजनाएं, एएफडी की 862 करोड़ रुपये की एक परियोजना, जाईका की 1,121 करोड़ रुपये की दो परियोजनाएं और केएफ डब्ल्यू की 1,110 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शामिल हैं।
इन परियोजनाओं में 4,060 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाएं ऊर्जा क्षेत्र, 1,808 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाएं वानिकी क्षेत्र और 1061 करोड़ रुपये की दो परियोजनाएं बागवानी क्षेत्र में क्रियान्वित की गई हैं। इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र के लिए लगभग 800 करोड़ रुपये की एक परियोजना, पर्यटन क्षेत्र के 583 करोड़ रुपये, कौशल उन्नयन क्षेत्र में 650 करोड़, वित्त क्षेत्र में 315 करोड़ रुपये और कृषि क्षेत्र में 321 करोड़ रुपये की परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं।