राईट न्यूज/कूल्लू भारतीय सेना अब मनाली होते हुए कुछ ही घंटों में कारगिल व लेह लद्दाख पहुंच सकेगी। 8.8 किलोमीटर लंबी अटल रोहतांग सुरंग न केवल सरहद को 46 किलोमीटर नजदीक लाई है, बल्कि इसने छह माह शेष विश्व से कटे रहने वाले जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति के लोगों को भी राहत दे दी है। लेह-लद्दाख में देश के प्रहरियों तक आसानी से पहुंचने व रसद पहुंचाने के लिए बनाई जा रही अटल रोहतांग सुरंग का कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है।
पीर पंजाल की पहाडिय़ों में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनाई जा रही इस आधुनिक एवं महत्वपूर्ण सुरंग का रोड वर्क लगभग पूरा कर लिया गया है। इन दिनों वेंटीलेशन व बिजली का कार्य चल रहा है। नॉर्थ पोर्टल में बनने वाले भवन के निर्माण कार्य ने भी गति पकड़ ली है। सड़क सीमा संगठन (बीआरओ) इस प्रोजेक्ट पर इस प्रोजेक्ट की लागत 3500 करोड़ के करीब रही है।
बीआरओ ने सितंबर 2017 में सुरंग के दोनों छोर जोड़ दिए थे।
जून 2010 में जब रोहतांग सुरंग का शिलान्यास हुआ था तब 2015 में इसे तैयार करने का लक्ष्य रखा था। सेरी नाले के रिसाव के कारण न केवल निर्माण का लक्ष्य प्रभावित किया बल्कि बीआरओ सहित निर्माण में जुटी स्ट्रॉबेग एफकॉन कंपनी सहित डिजाइन को आकार देने वाली समेक कंपनी को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।कड़ी मशक्कत के बाद ठीक कर लिया गया। रोहतांग सुरंग वाया शिंकुला व जांस्कर घाटी होते हुए सेना को कम समय में कारगिल पहुंचाएगी।
बारालाचा दर्रे व सरचू होते हुए भी सेना की राह आसान करेगी। हालांकि सेना को यह सुविधा गर्मियों में ही मिल सकेगी लेकिन अगर मनाली सरचू व दारचा जांस्कर घाटी मार्ग पर सुरंगों का निर्माण होता है तो सर्दियों में भी राहें आसान हो जाएंगी।
रोहतांग के बाद यहां प्रस्तावित हैं सुरंग
मनाली-लेह मार्ग को साल भर खुला रखने के लिए रोहतांग सुरंग के बाद अब बारालाचा दर्रे में 11.25 किलोमीटर, लाचुंगला में 14.78 किलोमीटर व तंगलंगला में 7.32 किलोमीटर सुरंग प्रस्तवित हैं। वहीं जांस्कर घाटी व कारगिल को सालभर लाहुल-स्पीति से जोडऩे के लिए शिंकुला दर्रे में तीन किलोमीटर सुरंग प्रस्तावित है।
कोविड-19 के चलते शुरुआती दिनों में काम की गति धीमी हुई थी लेकिन अब कार्य ने गति पकड़ ली है। साऊथ व नाॅर्थ पोर्टल में भवन निर्माण ने गति पकड़ ली है। वेंटीलेशन व लाइटो सहित फनिशिंग का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। कुछ ही महीनों में यह सुरंग देश को समर्पित कर दी जाएगी। रोहतांग टनल के बाद बारालाचा, लाचुंगला, तंगलंगला और शिंकुला दर्रे में सुरंगों का निर्माण किया जाना शेष है। इन सुरंगों के निर्माण को लेकर भी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश के मुख्यमंत्री से लगातार अटल रोहतांग सुरंग की जानकारी ले रहे है। केंद्र सरकार ने सुरंग के निर्माण में गंभीरता दिखाई है। बीआरओ ने सितंबर महीने में सुरंग तैयार होने की बात कही है।