Paonta sahib:जंगली हाथियों से निपटने के लिए बाड़ लगाने का काम शुरू

राइट न्यूज हिमाचल

मानव-हाथी संघर्ष को कम करने और हाथियों को सुरक्षित मार्ग प्रदान करने के लिए परियोजना हाथी को सिरमौर जिले के पांवटा साहिब बेल्ट में शुरू करने की तैयारी है।

राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से हरियाणा के कालेसर तक हाथी गलियारा पांवटा साहिब में सिंबलवाड़ा राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ा है। पांवटा साहिब मंडल वन अधिकारी डीएफओ ऐश्वर्य राज ने कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का प्रोजेक्ट एलीफेंट जिसे प्रोजेक्ट टाइगर एंड एलीफेंट नाम दिया गया है जल्द ही पेश किया जाएगा डीएफओ ने कहा कि धनराशि की पहली किस्त 19.61 लाख रुपए मंत्रालय द्वारा जारी की जा रही है।

योजना के तहत पांवटा और नाहन डिविजनों को कवर करते हुए 87 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। पांवटा साहिब उप-खंड में माजरा और गिरिनगर वन रेंज में तैयारी का काम शुरू हो गया है। डीएफओ पांवटा ऐश्वर्य राज ने बताया कि हाटी-मानव संघर्ष से निपटने के लिए वन विभाग ने धौलाकुआं, माजरा रेंज में पायलट आधार पर सौर ऊर्जा से संचालित बाड़ लगाने की शुरुआत कर दी है।

जिसके कारण हाथी गांव में नहीं आ सकेंगे। डीएफओ ऐश्वर्य राज ने बताया कि पिछले दो वर्षों के दौरान माजरा और गिरिनगर रेंज में हाथियों की गतिविधि का पता चलने के बाद उनके लिए एक सुरक्षित क्षेत्र बनाने का कदम आवश्यक हो गया था। वह पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के राजाजी राष्ट्रीय उद्यान से आते हैं। क्षेत्र में उनकी अचानक उपस्थिति के कारण मानव-हाथी संघर्ष हुआ, जिससे 2022 में पांवटा साहिब में दो हाथियों की मौत हो गई। मई, 2023 में नाहन में भी एक मानव मृत्यु दर्ज की गई।

हाथियों के झुंड द्वारा अपनाए गए मार्ग का पता लगाने के लिए उन्हें जीपीएस निर्देशांक का उपयोग करके ट्रैक किया गया था। यह पाया गया कि 2023 में हाथियों का झुंड पूरे साल पांवटा साहिब डिवीजन और इसके आसपास के सिंबलवाड़ा राष्ट्रीय उद्यान में रहा। इस परियोजना के तहत पांवटा व नाहन मंडल में कई उपाय किए जा रहे हैं। वन क्षेत्र के किनारे एक सौर ऊर्जा संचालित बाड़ बनाने शुरू हो गए हैं जो उत्तराखंड से आने वाले हाथियों के लिए मुख्य प्रवेश बिंदु है।

वहां कैमरा ट्रैप और नाइट विजन डिवाइस लगाए जा रहे हैं और हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक मोबाइल फोन एप्लीकेशन पर भी काम चलरहा है।

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