समेज गांव में प्रलय: रुला देगी तस्वीरें, श्रीखंड की जलधाराओं ने मचाया तांडव..सैलाब में बह गए 10 मासूम

राईट न्यूज़ हिमाचल….

31 जुलाई 2024 की मध्य रात्रि तक खूबसूरत गांव वजूद में था लेकिन चंद घंटो बाद एक अगस्त की सुबह हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के मानचित्र से गायब हो गया।

चारों तरफ प्रलय के निशान बिखरे हुए है। सर्च ऑपरेशन (search operation) में एक उम्मीद यह भी है कि शायद किसी की सांसे चल रही हो। यह घटना, हिमाचल प्रदेश के रामपुर उपमंडल के समेज गांव (Semaj Village) की है, जहां एक अगस्त की सुबह भयानक प्राकृतिक आपदा ने पूरे गाँव को निगल लिया। सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरों के अनुसार, दावा किया जा रहा है कि समेज गांव के स्कूल के बच्चे भी इस आपदा की भेंट चढ़ गए हैं। एक पोस्ट में कहा गया है, “समेज स्कूल के सभी बच्चे लापता हैं, सबको खोजा जा रहा है।

” गांव के करीब 35 लोग लापता हैं, और लगभग 85 किलोमीटर के दायरे में सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया है। इसी बीच रामपुर के एसडीएम निशांत तोमर (SDM Nishant Tomar) ने एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से बातचीत में कहा कि स्कूल के दस बच्चे लापता है जिनकी तलाश जारी है।एक सोशल मीडिया (Social Media) यूजर्स ने अपनी पोस्ट में एक रील को शेयर करते हुए लिखा, “कल्पना” , ईश्वर तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को श्री चरणों में स्थान दे। समेज हादसे ने कल्पना और उसके बच्चों को भी छीन लिया। भगवान तेरी ये क्या लीला है।”

एक एक तस्वीर शेयर करते हुए एक सोशल मीडिया यूज़र ने लिखा,समेज में आई बाढ़ में नन्हें खिलाड़ियों को खोने का बहुत दुःख हुआ।सोशल मीडिया पर लोग इसे प्रलय भी बता रहे हैं, इसके मुताबिक श्रीखंड महादेव चोटी के समीप से निकलने वाली तीन खड्ड समेज, कुर्पन और गानवी सहित श्रीखंड चोटी के साथ कार्तिक पर्वत के पीछे से निकलने वाला मलाणा नाला ने 31 जुलाई की रात तबाही मचाई।

श्रीखंड महादेव (Shrikhand Mahadev) तक जाने वाले दोनों मुख्य रास्ते बागीपुल और गानवी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। 31 जुलाई 2024 की मध्यरात्रि को श्रीखंड महादेव की चोटी पर भारी बारिश हुई, जिसका परिणाम यह हुआ कि 1 अगस्त की सुबह श्रीखंड महादेव से निकलने वाली हर जलधारा ने तांडव मचा दिया। इस आपदा में अनेक लोग हताहत हुए।

सोशल मीडिया पोस्ट में महादेव से सभी की रक्षा करने की प्रार्थना भी की गई है।हमें समझना होगा कि ये पहाड़ और जंगल व्यक्तिगत आनंद का जरिया नहीं हैं। इनकी मर्यादाएं और सीमाएं हैं। हिमालय की श्रीखंड महादेव जैसी धार्मिक यात्राओं को लोगों ने पर्यटन का स्थान बना दिया है। ये यात्राएं व्यक्तिगत घूमने की नहीं बल्कि आध्यात्मिक शांति का प्रतीक हैं।

सतलुज, ब्यास जैसी धाराओं और हिमालय क्षेत्र की छोटी-बड़ी धाराओं का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। विकास की आड़ में पहाड़ों का कटान किया जा रहा है। जिस प्रकृति को देवी मां का स्थान प्रदान किया गया था, आज उसका नाश करने पर हम आमादा हैं। यह निश्चित है कि जब प्रकृति पर आघात होता है, तो महादेव का त्रिनेत्र खुलता ही है।

इस भीषण आपदा का प्रमाण इस वर्ष की श्रीखंड महादेव यात्रा में अंधाधुंध भीड़ दे रही थी। यात्रा के नाम पर मनोरंजन और फूहड़ता का प्रत्यक्ष प्रमाण आज महादेव दे रहे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *