वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा..

वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा..

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले..।

वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा..।

शहादत जिंदा रहती है। शहीद होने वाले अमर हो जाते हैं। वीर सैनिकों का जज्बा अनंत होता है। उनका उत्साह खुले आसमान सा होता है। यहा परिंदों की तरह भावनाओं को उड़ने की इजाजत है, लेकिन आखें तरेर कर देखने वालों के लिए तीखे तेवर भी हैं। वीर सेना और शहादत देने वाले हमारे शहीद जवान हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहते हैं। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि देशवासियों को रोशनी देने के लिए हमारे जवान रातें चौकसी में बिताते हैं। वे अपने घर परिवार को छोड़कर हजारों मील दूर सीमा पर तैनात होकर देश की सुरक्षा में लगे हैं। हमें सुकून भरी नींद देने के लिए खुद पलक तक नहीं झपकाते। तमाम रातें जागकर हमें राहत की सासे भरने की उम्मीद देते हैं। हमारी देश की सीमा के ये सुरक्षा प्रहरी असल मायनों में हमारे परिवार के अंग हैं। हमारे नातेदार हैं, रिश्तेदार हैं। इन्हीं विशाल दरख्तों के साये में हम खुद को महफूज महसूस करते हैं। सेना के जवानों की शहादत को नमन करना ही हमारा दायित्व है। उनके परिवार को सम्मान देना भी हमारा कर्तव्य है। नई पीढ़ी को इन वीर सैनिकों की वीरता के किस्से सुनाना ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए। शिक्षा के पाठ्यक्रम में वीर सैनिकों की गाथा को शामिल करके हम नई पीढ़ी को उनके बारे में अच्छी तरह से बता सकते हैं। बचपन से ही देशभक्ति का जज्बा पैदा करने के लिए स्कूल सबसे बढि़या माध्यम हो सकता है। अभिभावक भी इसमें अहम कदम उठा सकते हैं। स्कूल में पहला कदम रखते ही, पहला अध्याय यदि देशभक्ति से ओतप्रोत दिया जाए तो यह शहीदों को सही श्रद्धांजलि होगी। इस दीपावली एक दीया रोशनी का जलाकर हम इन शहीदों को सच्ची श्रद्धाजलि अर्पित कर सकते हैं। यकीन कीजिए, आपका ये दीया, हमारे शहीदों को प्रकाश पुंज बनकर आलौकित करता रहेगा। जय ¨हद! जय भारत !

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